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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

जल है तो कल है

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जल है तो कल है नमस्कार पाठकों! आज पूरा देश जल के संकट से जूझ रहा है।ऐसी दशा में मैंने कुछ पंक्तियां जल के संदर्भ में लिखी हैं। जल है तो कल है -इन पंक्तियों के द्वारा मैं लोगों तक यह महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाना चाहती हूँ। जल है तो कल है वर्षा की फ़ुहार है जल से, धरती की बहार है जल से, जल जीवन-आधार हमारा, जल बिन सूना ये जग सारा।। एक बूंद चातक को जैसे, प्यासे को जल अमृत वैसे, जल को व्यर्थ ना कभी बहाना, लो संकल्प है इसे बचाना।। Dr.Anshul Saxena 

सुनहरा बचपन

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                                                 सुनहरा बचपन  शायद आप लोगों में से कुछ लोगों का बचपन भी ऐसे ही बीता हो।तो चलिए ताज़ा कर लेते हैं कुछ यादें सुनहरा बचपन की बत्ती के जाने पर महफ़िल लगाना पंखे को झलना गप्पें लड़ाना🌞 बर्फ के गोले की चुस्की और कुल्फी 🍡 लूडो और शतरंज की बाजी लगाना🎲⚄ शाम को छतों पर पानी छिड़काना🚿🌊 रंग बिरंगी पतंगें उड़ाना🔶️🔷️ चोर सिपाही या छुप्पन छुपाई कभी गुड्डे और गुड़ियों की शादी कराना 🤴👸 दरी पर गद्दे और चादर बिछाना तारों से तारों में चेहरे बनाना🌟 ठंडा सा तकिया और प्यारी सी नींद🛌 चांदनी रात में मौसम सुहाना🌛 लोगों का लोगों से मिलना मिलाना अपनों या गैरों से रिश्ते निभाना बीत गया बचपन ज़ारी है अब भी उन सुनहरी यादों का ताता लगाना।🙇‍♀️ By: Dr.Anshul Saxena

साईं गान (Sai Gaan)

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                साईं गान साईं साईं नाम पुकारो, श्रद्धा रखो ना हिम्मत हारो। याद करो तो साईं मिलेंगे, फरियाद करो झोली भर देंगे। कृपासिंधु जग पालनकर्ता, दयामयी बंधु दुखहर्ता। प्रेम का जग को पाठ पढ़ाया ऊंच-नीच का भेद मिटाया।   श्रद्धा सबूरी साईं सार, साईं की लीला अपरम्पार। साईं आशा का आधार, साईं करते कृपा अपार।।   शरण तिहारी आए आज, साईं लगा दो बेड़ा पार। जिस हृदय साईं का नाम, साईं बनाते बिगड़े काम।   अनगिनत साईं गुणगान, सब मिल गाओ साईं गान। शीश झुका करूं कोटि प्रणाम हृदय से बोलो ऊँ साईं राम।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 By:-Dr.Anshul Saxena  

ये उन दिनों की बात है

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ये उन दिनों की बात है, जब हम छोटे बच्चे थे, उम्र में थोड़े कच्चे थे, पर दिल के बेहद सच्चे थे।। ये उन दिनों की बात है रिश्तो में था अपनापन, सबका एक ही था आंगन, मिलजुल कर सब रहते थे, सुख-दुख सब मिल सहते थे।। ये उन दिनों की बात है अपनों के अपने सब थे, मां-बाबा में रब थे, परिवारों के मतलब थे, मिलना जुलना कम हो चाहे, दिल के बंधन पक्के थे।। ये उन दिनों की बात है... आज की बात जैसे दिन और रात जिससे मतलब उसका साथ पैसे के बिन सब है फीका माथा देखके होता टीका चलते नोट काम के रिश्ते बिना काम के खोटे सिक्के फोन में दोस्तों का मेला है फिर भी इंसान अकेला है भागदौड़ सब हो गए व्यस्त अपनों के लिए नहीं है वक्त सच्चा रंग पुराना है दिखावे का ज़माना है आज की बात निराली बात इसमें नहीं उन दोनों की बात। By: Dr. ANSHUL SAXENA 

होली की बोली (Holi ki Boli)

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Holi ki Boli होली बोले कितनी बोली, रंगो की पुड़िया जब रिश्तो में घोली, कहीं प्यार बड़े जब रंग चढ़े, कहीं भीगी भीगी हंसी ठिठोली। कहीं उमंग के ढोल कहीं मस्ती की टोली कहीं मिलन-उत्सव  कहीं आनंद भरी झोली गुजिया भी बोले ममता की बोली आसमां में सजती रंगो की रंगोली। चंदन की खुशबू में लिपटा गुलाल, कोई होता मतवाला तो कोई होता लाल, कोई किसी का हो गया कोई किसी की हो ली, कोई बुरा ना मानो ये होली है होली।। Dr.Anshul Saxena 

नारी ना हारी ( Naari Na Haari)

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जिसके बिना जन जीवन अधूरा, वो जीवन से पहले ही कब तक मरेगी? उस युग की सीता की अग्नि परीक्षा, इस युग की सीता ही कब तक करेगी? कन्या और देवी का करते हो पूजन, वह कन्या और देवी ही कब तक घुटेगी? साहसी विदुषी जब एकाकी असुरक्षित, नियमों के बंधन में कब तक बंटेगी? मर्यादा में रहकर मर्यादा उल्लंघन, अब तक सहा है कब तक सहेगी? निर्भीक असहाय द्रोपदी दामिनी, समाज की पीड़ा में कब तक रहेगी? सुंदर सुयोग्य गुणी सुकन्या, दहेज की अग्नि में कब तक जलेगी? पुरुष से कंधा मिलाकर चली है, अहम के कांटो पर कब तक चलेगी? पुरुष का वर्चस्व जिसने है जन्मा, थमी ना कभी,कभी ना थमेगी सम्मान की अधिकारी नारी ना हारी, आगे बढ़ी है आगे बढ़ेगी।। Dr.Anshul Saxena 

जगजननी नारी (Jag Janani Naari)

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जगजननी नारी  अंदर से मजबूत बड़ी है, ऊपर से कोमल लगती है। वीरों की जननी है जो, जिगरों का जिगरा रखती है। एक परिवार में जन्म ले ये दूजे का पालन करती है। डोली में जाती जिस घर, अर्थी में बाहर निकलती है। राखी और ममता इससे, खुशियों से आंगन भरती है। त्यौहार की रौनक इससे ही हर पर्व को पूरा करती है। सुंदर निर्मल भावुक ऐसी, नीर नयन में भरती है। पूजोगे तो दुर्गा ये, छेड़ा तो काली बनती है। दीपक की ज्योति इससे ही, इससे ही पूजा और हवन, जगजननी नारी शक्ति को, आभार भरा शत शत नमन।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 Dr.Anshul Saxena 

पानी पीने का उचित समय और सही तरीका || Pani peene ka uchit tareeka

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जल से ही जीवन जल हमारे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। कोई भी व्यक्ति एक बार को खाने के बिना रह सकता है परंतु जल के बिना जीवन असंभव है। जिस तरह पृथ्वी का ज्यादातर हिस्सा जल है। ठीक उसी तरह हमारे शरीर का आधे से ज्यादा हिस्सा यानी कि 70% भाग जल से निर्मित होता है। शरीर के हर अंग जल से ही निर्मित होते हैं। चाहे रक्त कोशिकाएं हों, किडनी हों, अथवा हड्डियां ही क्यों ना हो सभी अंगों में जल की कुछ ना कुछ मात्रा उपस्थित रहती है। हमारे शरीर से पानी किसी ना किसी रूप में चाहे वह पसीना  हो,मल मूत्र अथवा सांस छोड़ने में भाप द्वारा निष्कासित होता रहता है। ऐसे हमारे शरीर को रक्त का संचार व्यवस्थित रखने के लिए पाचन क्रिया सुचारू रूप से चलाने के लिए एवं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जल की बहुत आवश्यकता रहती है। एक सामान्य व्यक्ति को दिन भर में लगभग 2 से 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए लेकिन वे लोग जिनकी दिनचर्या में शारीरिक श्रम की अधिकता रहती है जैसे व्यायाम या दौड़ना य खेलना कूदना जिन की दिनचर्या में शामिल हों उन लोगों को सामान्यतः थोड़े अधिक प

खांसी दूर करने के अचूक उपाय / Home remedies to get rid of Cough

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खांसी ज्यादातर खांसी बदलते मौसम के समय अथवा जाड़ों में हो जाती है। सूखी खांसी हो तो गले का दर्द बहुत परेशान करता है और यदि कफ वाली खांसी हो तो सांस लेने में बहुत परेशानी होती है। कभी-कभी तो रात को सोते समय लगातार खांसी उठने से सोने में भी काफी तकलीफ होती है।वैसे तो कफ सिरप लेने से खासी में बहुत आराम मिलता है लेकिन कफ सिरप के कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट होते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता। इसलिए बड़े बुजुर्ग और वैद्य लोगों का कहना है कि खांसी जुकाम हो जाने पर अंग्रेजी दवाइयां ना लेकर घरेलू उपाय करना ही कारगर सिद्ध होता है। आज यहां आपको बेहद आसान और आजमाएं हुए घरेलू नुस्खे जानने को मिलेंगे जो खांसी दूर करने के लिए रामबाण सिद्ध होंगे। यह ऐसे घरेलू उपाय हैं जिनको आजमाने से ना केवल बच्चे बल्कि बड़ों को भी खांसी होने पर बेहद आराम मिलेगा। 1. खांसी दूर करने के लिए सबसे पहले एक सरल उपाय है कि आप एक कप गर्म पानी उबाल लें और उसमें दो चुटकी नमक मिला दे और वह पानी गुनगुना हो जाने पर उस पानी से गरारे करें इससे गले में अटका हुआ का दूर होता है यदि आप उस नमक के पानी को थोड़ा-थोड़ा

हिन्दी (Hindi Bhasha)

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हिन्दी (Hindi Bhasha) हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदुत्व का सम्मान, अपनाएंगे जब मिल सारे रख पाएंगे इसका मान।। भाषा में आभूषण हिंदी, जैसे भारत माँ की बिंदी, हिंदी है अभिमान देश का, हिंदी से ही देश का मान।। बन प्रहरी यह प्रण लो सारे, हिंदी झुके ना हिंदी हारे, हिंदी से ही देश की रक्षा, हिंदी सुरक्षा कवच समान, आन बान देश की शान, हिंदी है तो हिंदुस्तान।। By:-Dr.Anshul Saxena

धर्म-कर्म

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याद-पीहर की

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                याद-पीहर की  बचपन को जहाँ बोया था मैंने, यादों को जहाँ संजोया था मैंने, लाँघ वो दहलीज़ पीहर छोड़ा था मैंने, जब एक अटूट बंधन जोड़ा था मैंने, हर पुरानी चीज़ की जब बात आती है, ईंट और दीवार की भी याद आती है।। बरसों बरस जहाँ बिता दिये मैंने, बरसों से वो आंगन देखा नहीं मैंने, मन की चिररइया जब तब वहां घूम आती है, कभी कभी आँख जब झपकी लगाती है।। वो मोड़ वो राह तब छोड़ दी मैंने, ज़िम्मेवारी की चादर जब ओढ ली मैंने, वो हंसी ठिठोली आज भी बड़ा गुदगुदाती है, बीते हुए लम्हों की जब आवाज़ आती है।। भाई बहन वो बिछड़ी सहेली, झूठी शिक़ायतों वाली मीठी सी बोली, तपते बुख़ार में पिता की हथेली,  माँ की स्नेह और परवाह वाली झोली, कौन सी बेटी ये भूल पाती है पीहर की डोर कब छूट पाती है।। हर पुरानी चीज़ की जब बात आती है, ईंट और दीवार की भी याद आती है।।   By:- Dr. Anshul Saxena

माँ -बेटी (Maa- Beti)

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 इस जहां का दिया हर जुल्म उठा जाऊंगी मैं,  जब बुलाएगी तू मुझे दौड़कर आऊंगी मैं,  हर दर्द की आंधी से तुझको बचा लाऊंगी मैं,  तेरी सुरक्षा के लिए तूफ़ान सह जाऊंगी मैं।  तेरे सुकून के लिए कई रात जग जाऊंगी मैं,  आंख बंद हो या खुली बस तुझे पाऊंगी मैं,  तेरी मुस्कुराहट के लिए हर दर्द सह जाऊंगी मैं,  उज्जवल भविष्य तुझको मिले और क्या चाहूंगी मैं।।  छोटी सी तेरी जीत से हर जीत जीत जाऊंगी मैं,   तेरी बोली तेरे भाव सबको समझाऊंगी मैं,  आत्मनिर्भर तू बने कुछ ऐसा कर जाऊंगी मैं,  फिर रहूं या ना रहूं बस धैर्य को पाऊंगी मैं।।  मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे हर जगह जाऊंगी मैं,  हर सजदे में शीश नवा आशीष दे जाऊंगी मैं  तेरे जन्म से मुझको नया जन्म मिला है  इस जन्म को अंत तक तेरे नाम कर जाऊंगी मैं।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏  By-Dr.Anshul Saxena 

संहार- कलयुग के रावण का

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     पराक्रमी और अभिमानी, दंभी पंडित और ज्ञानी, मर्यादा को हरने वाला, उस युग में राम से मरता है।। सत्य धर्म की अमर विजय को  जन-जन स्मरण करता है, न्याय धर्म की रक्षा हेतु, अब कोई राम ना बढ़ता है। त्रेता युग का रावन तो  इस युग में भी मरता है। कलयुग के रावण का क्या  जो गली गली में पलता है।। नैतिकता का करे पतन  मर्यादा का उल्लंघन पापी,दुष्ट,दुराचारी दुष्कर्म से जो ना डरता है। सत्य असत्य की आंख मिचोली, धर्म न्याय की लगती बोली, मन से रावण पहन मुखौटा, हनन मान का करता है।। कलयुग के हर रावण का  आओ मिल संहार करें।। विजयदशमी के अवसर को, सार्थक और साकार करें, श्रीराम से ले प्रेरणा, कलयुग का उद्धार करें। मानवता के धर्म का पालन , हर जन का कर्म ये बनता है, सतकर्म धर्म को माने जो, हर जन्म सफल वो करता है।। By:Dr.Anshul Saxena

उम्र के उस पार (Umra ke us paar)

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          उम्र के उस पार  बूढ़े या जवान? मनुष्य का जीवन उसकी आयु, शारीरिक विकास और क्षमता के अनुसार मुख्य रूप से चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था। हर आयु की अपनी एक विशेषता होती है। बाल्यावस्था मासूम और चंचल होती है तो किशोरावस्था उत्सुकता और परिवर्तन लेकर आती है। युवावस्था असीम शक्ति और उत्तेजना का सूचक होती है तो वृद्धावस्था अनुभव और ज्ञान से परिपूर्ण होती है। शारीरिक क्षमता और कार्य क्षमता भले ही आयु के साथ घटती जाती है परंतु सीखने की क्षमता, इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प और आत्म शक्ति समान रूप से सभी अवस्था में मनुष्य के अंदर होना या विकसित करना संभव है। युवावस्था पार कर चुके कई लोगों का ऐसा कहना कि "अब हमारी उम्र हो चली है... अब हमसे कुछ नहीं हो पाएगा या अब कुछ नया सीखना संभव नहीं" कहीं ना कहीं निराशावादी सोच का सूचक बन जाता है। वे लोग कहीं ना कहीं अपने अनेकों अनुभवों से संभव होने वाली उपलब्धियों पर पूर्ण विराम लगा देते हैं। वे लोग अपनी उम्र को बड़ा कारण बता कर समाज का उदाहरण लेते हुए समस्त क्रियाओं को छोड़कर स्वय