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बेटियाँ (Betiyan)

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  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

फर्क़ - मर्द और औरत का

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  फर्क़ मर्द और औरत का  आधुनिक युग में बहुत से लोग कहते हैं कि एक मर्द और औरत में कोई फर्क नहीं होता और वह तो कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। क्या वास्तव में ऐसा संभव हो सका है? बहुत से क्षेत्र में नारी ने पुरुष के साथ कन्धे से कंधा मिलाया है लेकिन यथार्थ के धरातल पर या यूँ कहें वास्तविक जीवन में बहुत सी ऐसी नारियां है जो जीवन में बहुत कुछ करना चाहती हैं लेकिन कभी परिस्थितियों वश, कभी कर्तव्यनिष्ठा या कभी अपनी जिम्मेदारियां की वजह से वे वह नहीं कर पाती जो वे कर सकती हैं। अपना नाम, पहचान, घर-परिवार सब को छोड़ने के बाद भी अंतत: कई बार नारी को अपने सपने भी अपनों के लिए छोड़ने पड़ जाते हैं।  तो बस इसी संदर्भ में यहां मैंने कुछ अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। बचपन में सपनों को उड़ान मिलती है  अपनों से अपनेपन की मुस्कान मिलती है यहाँ दूसरे घर की वहाँ पराई रहती है  छिन जाता है वो नाम जो पहचान मिलती है बड़े होते-होते उसके पंख कट जाते हैं।  कभी गृहस्थी तो कभी जिम्मेदारी में बँट जाते हैं  उसे तो अपनी जिंदगी जीने का भी हक नहीं है  और कहते हो कि मर्द और औरत...

Never Judge a Book by its Cover

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  Never Judge a Book by its Cover  एक बार एक 24 साल का लड़का ट्रेन में अपने पिता के साथ यात्रा कर रहा था। वह बहुत ही उत्तेजित और उत्साहित था। इस ट्रेन में उनके साथ एक दंपति बैठा हुआ था। वह लड़का बार-बार खिड़की से बाहर देखकर अत्यंत खुश हो रहा था। अचानक से वह लड़का जोर-जोर से ताली बजाकर उत्साहित होता हुआ बोल पापा देखिए पेड़ पीछे जाते जा रहे हैं और हम आगे जा रहे हैं। उसके पिता मुस्कुरा दिए लेकिन साथ बैठे दंपति को बहुत ही आश्चर्य हुआ। कितना बड़ा लड़का किस तरह से बच्चों की तरह व्यवहार कर रहा है?  लेकिन वह दंपति चुपचाप बैठा उस लड़के को देखता रहा। थोड़ी देर बाद ही वह लड़का फिर से उत्साहित होकर अपने पिता से बोा पापा देखिए बादल हमारे साथ-साथ चल रहे हैं। अब इस बार उसे दंपति से रहा नहीं गया और उन्होंने उसे लड़के के पिता से कहा की आप अपने बेटे को किसी डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया। इतनी बड़ी उम्र में भी यह कैसी बच्चों जैसी हरकतें कर रहा है और आप सिर्फ मुस्कुरा रहे हैं। इस पर उसे लड़के के पिता ने उसे दंपति से कहा कि हम अभी डॉक्टर क्या से ही आ रहे हैं। आपसे कुछ दिनों पहले तक यह लड़का ब्ल...

Hindi Kavita Saath (हिंदी कविता साथ)

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साथ  कठिनाइयां भी हों सरल हार हो जाए विफल मझधार में कश्ती खड़ी आगे भी जाएगी निकल तुम हाथ तो दो।। बीत जाएंगे ये पल फिर नहीं मिलेंगे कल हौसला फिर हो सबल आशा का खिल जाए कमल तुम साथ तो दो।। By- Dr.Anshul Saxena 

सम्मान- रिश्तों का(Samman Rishton Ka)

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          सम्मान रिश्तों का   घर में दो रोटी ज्यादा बन जाएं, चलेगा। सब्जी की जगह दाल बन जाए ,चलेगा। झाड़ू पोंछा लेट हो जाए,चलेगा। बिना बात का झगड़ा नहीं चलेगा😐 आज की मेरी पोस्ट उन पुरुषों के लिए है जो अपने अहम, ना समझी और तुनक मिजाजी में अपने परिवार में कड़वाहट घोल देते हैं। घर आँगन है कोई जंग का मैदान नहीं है  वह आदमी ही क्या जिसे रिश्तो का मान नहीं है यह घर है हर बात सहज होनी चाहिए बात बे बात ना बहस होनी चाहिए छोटी-छोटी बातों पर बात मत बढ़ाइए घर को घर रहने दें अखाड़ा मत बनाइए अरे तुम किससे लड़ रहे हो? किसको जता रहे हो? जो खुद नहीं सीखे वह किसी और को सिखा रहे हो। अगर कुछ सामान पड़ा है तुम उठा लो अगर खाना लेट हो गया है तो किचन में जाकर थोड़ा हाथ बँटा लो। अगर सब्जी में नमक कम है तो थोड़ा ऊपर से मिला लो, और अगर ज्यादा है तो थोड़ा घी मिला लो अब सामने वाले ने जानबूझकर तो गलती नही करी होंगी न तो तुम किसको समझा रहे हो? बात में बात नहीं पर झगड़ा लगा रहे हो दिलों की कड़वाहट को साफ कीजिए  छोटी-मोटी गलतियों को माफ कीजिए ऐसे ना घर चलते है...

होली है (Holi Hai)

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        हो ली है! हमारे त्योहार हमारी संस्कृति की धरोहर  हैं। ये हमारे जीवन को हर्ष उल्लास और उमंग से भर देते हैं। उसी प्रकार होली का त्यौहार हमारे जीवन में खुशियों के रंग भर देता है।  कान्हा राधा होली में   डाले रंग गुलाल  चढ़ा प्रेम का रंग जो  राधा हो गईं लाल अलग-अलग रंगों की तरह हमारे आसपास भी रंग-बिरंगे लोग होते हैं। किसी के ऊपर काम का रंग होता है। कोई अपनी धुन में मगन होता है तो कोई रंगीन मिजाज़ होता है। किसी के ऊपर प्यार का रंग चढ़ता है तो कोई पल-पल रंग बदलता है।  रंगों के त्यौहार पर, भर दिल में प्यार के रंग। दूरी सारी भूलकर, हो एक दूजे के संग। रंग से ना डर उससे डर, जो बदले पल पल रंग। रंगों के इस त्यौहार को फ़ीका ना पड़ने दें। एक दूसरे पर खुलकर रंग लगाइए चाहे वह आपके प्यार का हो स्नेह का हो, गुलाल हो या फूलों का रंग हो।  आप सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 🙏💐 By: Dr.Anshul Saxena 

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

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  हर किसी से बात करने का सलीक़ा और तरीक़ा अलग अलग होता है।  कुछ लोग आपके बिना कहे ही सब कुछ सुन लेते हैं और कुछ लोग आपके बार बार कहने पर भी आपकी बात को सुनना नहीं चाहते। आपकी तहज़ीब और अदब को लोग अपनी मनमानी करने के लिए ग्रीन सिगनल की तरह लेते हैं। ऐसे में आपको अपने कहने का तरीका और सलीका दोनों ही बदलने पड़ते हैं।  तुम्हें बस कितना कहूंगी कि तुम जो भी कहते हो तहज़ीब में रहते हो सुनने वाले बड़ा ग़ौर से सुनते हैं खामोशी तोड़ो तहज़ीब छोड़ो बहरे ज़रा ज़ोर से सुनते हैं।