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Showing posts from June, 2020

क़त्ल (Katl)

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 क़त्ल (Katl) बाहर शोर और मेला है, अंदर मन मौन अकेला है, जब अंदर यह घबराता है, एक खंजर खून बहाता है। रोक लो खून को बहने से, अपनों को घायल होने से, अनजाने में अपनों का कोई, अपना कातिल बन जाता है।। कोई भरा हुआ है भावों से, बस भावुक सा हो जाता है, तुम ना समझे तो क्या होगा, यह सोच के वो कतराता है।। थोड़ा हंस लो थोड़ा सह लो, कुछ वो कह दे कुछ तुम कह लो, किसका क्या चला जाता है, ग़र इक जीवन बच जाता है।।

असली खुशी (Asli Khushi)

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कहानी :असली खुशी किरदार:  दिवाकर सिन्हा और मोहन यह कहानी दो ऐसे व्यक्तियों पर आधारित है जिनकी सोच एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत थी। एक दिवाकर सिन्हा जो सरकारी अध्यापक हैं। दूसरा मोहन जो एक छोटी सी कंपनी में कोई छोटा मोटा काम करता है।  दिवाकर वर्मा जी कुछ परेशान से अपने घर में इधर-उधर टहलते हुए अपने किसी दोस्त से फोन पर बातचीत करते हुए कहते हैं," अरे यार यह कोरोना ने कहां फंसा दिया? थोड़ी बहुत ट्यूशन आ रही थी वह भी आना बंद हो गई। ना कहीं आ सकते हैं न जा सकते हैं। खुद भी घर में बंद हो गये। इधर मेरी धर्मपत्नी भी इस बात को लेकर काफी परेशान है कि उन को मंदिर जाने को नहीं मिल रहा। और सही बात  भी है पूजा-पाठ के बिना मन को शांति कैसे मिले?" बातचीत में उनके दोस्त ने उधर से कुछ कहा जिसके उत्तर में दिवाकर जी बोले क्या बात कर रहे हो तुम्हारा धंधा भी मंदा हो गया? लाखों का धंधा हजारों में आ गया। पता नहीं कोरोनावायरस क्या क्या दिन दिखाएगा?"  फोन पर बातचीत करते-करते दिवाकर को कुछ संगीत की ध्वनि सुनाई दी जो उन के घर के पीछे बने छोटे से घर से आ रही थी। यह घर मोहन का था जो एक किसी कंपनी म...