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Showing posts from December, 2021

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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

रिश्ते (Rishte)

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  नमस्कार! आज साल का आखिरी दिन है और इस दिन मैं आप सभी के साथ एक छोटी सी लेकिन गहरी बात करना चाहती हूं। हमारे जीवन में हर रिश्ता एक मोती की तरह होता है और सारे मोती मिलाकर एक माला बनती है। यदि रिश्तो की माला में से एक मोती भी इधर उधर होता है तो पूरी माला बिखर जाती है। कभी-कभी लोग इन्हीं रिश्तो को अपनी सहूलियत से जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल करते हैं। जिंदगी में रिश्ते बहुत अहमियत रखते हैं। रिश्ते बनाना बहुत आसान है लेकिन उन्हें निभाना थोड़ा कठिन। रिश्ते अक्सर बड़ी बातों पर नहीं परंतु छोटी-छोटी बातों से बिखर जाते हैं। याद रखिए यदि आप किसी के जीवन में अहमियत रखते हैं तो उस व्यक्ति की भी आपके जीवन में उतनी ही अहमियत होती है। जीवन बहुत छोटा है इसमें छोटी-छोटी बातों को दिल से लगाने की जगह नहीं होनी चाहिए।  शिकवे शिकायतों की बोझ को दिल से निकाल फेंकिये और नव वर्ष में नई शुरुआत कीजिए। आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं🙏😊 एक दूजे की थाह लिए, दिल में मिलने की चाह लिए, फिर भी वो रिश्ते बिखर गए, जो छोटी बात पर ठहर गए।। रिश्तों को अग़र निभाना है, समझो भी ग़र समझाना है, सब समझ बात ये अग़र गए,

चलो चाय पर मिलते हैं

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      चलो कभी चाय पर मिलते हैं चलो कभी चाय पर मिलते हैं...☕जब कोई ऐसा कहता है तो वह केवल चाय नहीं पीना चाहता बल्कि आपके साथ वक्त बिताना चाहता है.. कुछ कहना चाहता है कुछ सुनना चाहता है। हमारे देश में चाय पर मिलना केवल चाय पीने का ही नहीं बल्कि मिलने का भी बहाना होता है। चाय पर मिलना यानी कि किसी से रूबरू हो अपने दिल की तमाम अनकही बातें  कहना भी होता है। चाय पीते पीते दो लोग न जाने कितनी बातें साझा कर जाते हैं। चाय की चुस्कियों के साथ न जाने कितनी योजनाएं बनती हैं कितनी बातें बनती हैं कितने दिल जुड़ते हैं और कितने रिश्ते बनते हैं । तो फिर चलिए कभी चाय पर मिलते हैं।🤩☕ कड़वाहट पत्ती सी छनती है, रिश्ते चीनी से घुलते हैं, जब कोई दिल से कहता है, चलो चाय पर मिलते हैं।। कभी कड़वी यादें बिसराते, कभी दूरी दिल की सिलते हैं, जब कोई दिल से कहता है,  चलो चाय पर मिलते हैं।। कभी कुछ कहते कभी सुनते हैं, बातों में बातें बुनते हैं, जब कोई दिल से कहता है, चलो चाय पर मिलते हैं।।

सफ़र - उम्र का

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 सफ़र - उम्र का नमस्कार🙏  परिवर्तन तो संसार का नियम है और बदलते वक्त के साथ उम्र में आया परिवर्तन भी उस ही नियम का हिस्सा है। लेकिन हममें से अधिकांश लोग अधिकतर वक्त के साथ आए उम्र के परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। चाहे वह परिवर्तन खुद का हो या अपनों का हो। परंतु वक्त ही वक्त के साथ हमें इस परिवर्तन के लिए सहज होना सिखा देता है। यही सहजता परिवर्तन की गरिमा को बढ़ा देती है और जारी रहता है सफर -उम्र का। इस सफर की श्रंखला अगली कविता तक जारी रहेगी। वक्त की स्याही में जब, उम्र यह घुल जाएगी, कुछ तजुर्बों की लकीरें, चेहरे पे भी ले आएगी। दिन तो कब का ढल चुका यह शाम भी ढल जाएगी चांद यौवन का ढलेगा चांदनी रह जाएगी।।

श्रद्धांजलि- सीडीएस बिपिन रावत

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 श्रद्धांजलि- सीडीएस बिपिन रावत मान यान का ध्वस्त हुआ, देश का सूरज अस्त हुआ, नितदिन जो तेज दमकता था, किसी और लोक ही निकल गया। हम कृतज्ञ करबद्ध खड़े हैं, शब्द भी मौन निशब्द पड़े हैं, दुश्मन भी जिस को छू ना सका, उसे काल चक्र ही निगल गया। संपूर्ण जगत का जल मानो, नैन नीर में बदल गया, हिमखंड सा वीर सपूत देश का, मां की गोद में पिघल गया। By- Dr.Anshul Saxena