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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)

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 नव वर्ष शुभकामनाएं खट्टी मीठी याद लिए, बीते साल की शाम ढली। नव उमंग नव तरंग लिए, नए साल की कली खिली। नई कली जीवन महकाए, हर जीवन में मंगल लाए।। नव वर्ष की शुभकामनाएं💐🙏

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

सुकून (Sukoon)

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                          सुकून सुकून एक वह अनमोल खजाना है जो किसी को मिल जाए तो उसके आगे चांदी सोना रुपये पैसे का भी कोई मोल नहीं क्योंकि सुकून को पा सकते हैं खो सकते हैं लेकिन खरीद नहीं सकते। कितनों का यही दर्द कितनों का यही ग़म। ढूंढे जिसे ज़माना मिलता है ज़रा कम। हंसना यहीं रोना यहीं, पाना यहीं खोना यहीं, ना चांदी जहाँ सोना नहीं। दिल का सुकून होना वहीं।। आज उम्र के इस पड़ाव पर हम सभी की जिंदगी चक्की की तरह चलती है। जहां हमें सुकून ढूंढना पड़ता है और जब यह मिलता है तब वह किसी खजाने से कम नहीं लगता। एक ज़माना था जब यह हमेशा ही हमारे पास रहता था। जब दिल में उमंग थी कुछ पाना जुनून था बचपन के थे वो दिन जब दिल का सुकून था। अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगी

हिंदी को स्वीकार करो (Hindi ko sweekar karo)

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 हिंदी को स्वीकार करो  (Hindi ko sweekar karo) वंचित अपने अधिकारों से, छलनी अपनों के वारों से, औरों पे पड़ती भारी जो। अपने ही देश में हारी वो।। एबीसी के चक्कर में, हस्ताक्षर में या अक्षर में, खोयी ऐसी हर दफ्तर में, वो निजी हो या सरकारी हो।। अंग्रेज़ी पर इतराते हम और हिंदी से घबराते हम चलो हिंदी को अपनाते हैं, चलो 2 का बटन दबाते हैं, एबीसीडी सीख ली हमने, अब क ख ग भी सिखाते हैं। हेलो हाय को बाय करो, नमस्कार को प्यार करो, हिंदुस्तान के वासी हो, हिंदी को स्वीकार करो।। Dr.Anshul Saxena 

नारी (Naari)

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  एक नारी की शक्ति का आंकलन करना किसी के बस की बात नहीं है। एक असीम शक्ति का नाम है नारी। जो हर चुनौती हर संघर्ष को हंस के पार करती हैं।  बेटियां अक्सर बेटा बन जाती है लेकिन बेटे बेटियां नहीं बन पाते। अपने घर को बसाने के लिए वह जन्म से मिली अपनी पहचान को हंसते-हंसते त्याग देती है। अपने सपने अपनों के लिए हंसी खुशी न्योछावर कर देती है। अपनी हर भूमिका असाधारण रूप में निभाने वाली नारी को कोई चुनौती नहीं रोक सकती। तुम मान दो तो मान में सम्मान देती है। जन्म क्या पहचान क्या वो जान देती है। ना भूल कर यह भूलना उसे आंकते हो तो छोटी बड़ी हर बात पर उसे जांचते हो तो रिश्ते कभी बंधन में उसे बांटते हो तो जीतेगी वो हर हाल में जब ठान लेती है।।

समझ दिल की (Samajh Di Ki)

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   समझ दिल की (Samajh Di Ki) यह जिंदगी भी बड़ी अजीब है। ग़ौर से देखो तो प्यार के लिए कम पड़ जाती है और नफ़रत के लिए बहुत बड़ी लगती है। कमाल की बात तो यह है कि हम जिंदगी भर उन्हीं लोगों से लड़ने में मनमुटाव में उलझे रहते हैं जो हमारे आसपास होते हैं या हमारे बेहद करीब होते हैं। सच तो यह है कि इस दिखावे की दुनिया में आपको सच्चे लोग मिल जाएं तो ख़ुद को बहुत ख़ुशकिस्मत समझ लो। कोई ऐसा जो आपको सुनता हो, आपकी फ़िक्र करता हो, आपसे आपके दिल का हाल पूछता हो तो उसे ज़िंदगी भर संजो कर रखिएगा। ऐसी रिश्तों की क़द्र करिएगा जो आपको आप जैसे हैं वैसे अपनाते हैं, जो आपको छोटी-छोटी बातों के लिए आंकते नहीं है, जो आपसे दिल से जुड़ते हैं स्वार्थ से नहीं। ठीक ही है कि कहाँ दर्द कम होता है किसी के हाल पूछने से बस तसल्ली हो जाती है कि कोई अपना है। आपको पता है कभी-कभी दिल दिमाग से ज्यादा समझदारी से काम करता है। वह खुद को हल्का रखने के लिए लोगों के दिखावे को समझते हुए भी नजरअंदाज़ कर देता है।😄 करो महफ़ूज़ वो रिश्ता जो मिल के हाल लेता है। जहां तुम डगमगाते हो तुम्हें वह ढ़ाल देता है। बड़ा नादान है ये दिल धड़

साथ (Saath)

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 साथ (Saath)   मुश्किलें आई है तो हल  निकलेंगे, जो कल भी निकले थे फिर कल निकलेंगे, रुक गए थे कदम जो मंजिल की राह में, साथ होंगे आप तो फिर चल निकलेंगे।।

बिकाऊ रिश्ते (Bikau Rishte)

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 बिकाऊ रिश्ते   आज का ज़माना पहले से कुछ अलग है। महंगाई के इस दौर में हर चीज महंगी बिकती है। इस सूची में रिश्ते भी शामिल हैं। जितना महंगा रिश्ता उतनी मेहमान नवाज़ी।  पहले ज़माने में सुविधाएं भले ही कम थी लेकिन रिश्तों में ठहराव और गहराई होती थी। मिलना जुलना औपचारिक नहीं होता था। त्योहारों में खोखला पन नहीं था। पहले सामने झगड़े होते थे लेकिन मनमुटाव क्षणिक होता था। दिलों की मिठास कम नहीं होती थी। अब दिलों की खटास दिखावे की चाशनी में परोसी जाती है। कह सकते हैं कि  दिल में अब नमी नहीं है  पर दिखावे में कमी नहीं है। जिसको यह बात अभी तक समझ ना आई हो तो नासमझ होना ही बेहतर है। नासमझी ही बेहतर है ना होना समझदार  समझ गए तो समझोगे रिश्तों का व्यापार आज के समय में महाकवि तुलसीदास जी का कथन हमेशा याद रखना चाहिए आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह।  तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह। जिस समूह में शिरकत होने से वहां के लोग आपसे खुश नहीं होते और वहां लोगों की नजरों में आपके लिए प्रेम या स्नेह नहीं है, तो ऐसे स्थान या समूह में हमें कभी शिरकत नहीं करना चाहिए, भले ही वहां स्वर्ण बरस रहा हो। इन्हीं सब विचारो

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

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         हर घर तिरंगा  ( Har Ghar Tiranga) आजादी का अमृत उत्सव, देश भक्ति में रंग बिरंगा, देश प्रेम का तिलक लगा सब, हर घर में लहराओ तिरंगा।। आतंक पनपने ना पाए, घर के भेदी घर को जाएं, आओ हम ऐसे मिल जाएं, ना फ़साद ना हो फिर दंगा। हर घर में लहराओ तिरंगा।। हर अतिथि का हो अभिनंदन, हर धर्म का करते हम वंदन, इस देश की माटी जैसे चंदन, देश प्रेम पावन ज्यों गंगा। हर घर में लहराओ तिरंगा।।

सफ़र (Safar)

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 सफ़र (Safar) सफ़र का अर्थ ही होता है चलते जाना और जिंदगी भी चलने का नाम है।  कभी-कभी पास की मंजिल भी दूर लगती है और कभी-कभी दूर दूर तक भी मंज़िल नहीं दिखती है। ये ऐसा सफ़र है जिसमें आपको मंज़िल का भले ही ना पता हो लेकिन आपके क़दम चलते रहने चाहिए चाहे वह कितने भी थक क्यों ना जाएं। आसाँ नहीं ये जिंदगी मुश्किल ये सफ़र है, दिखती नहीं मंज़िल कहीं चलना तो मग़र है, हर सांस में इक आस है और आस में मेरी दुआ, ऐ ख़ुदा सुन ले ज़रा सुनता तू अगर है।।

गृहणी (Grahani)

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 गृहणी (Grahani) समाज में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली एक ऐसी स्त्री जो शिक्षित भी है, काबिल भी है, जिसके अपने सपने भी हैं लेकिन उन सब से ऊपर उसके अपने भी हैं। जो अपना घर सजाने और बच्चों को बनाने में अपने सपने और अपनी ख्वाहिशों का हंसते-हंसते बलिदान दे देती है और फिर भी उसके बारे में बहुत कुछ अनकहा रह जाता है।  मेरा एक छोटा सा प्रयास है उस स्त्री के बारे में कुछ कहने का जिसका पूरा घर ऋणी होता है और जिसे गृहणी कहते हैं। कभी तंगी में कभी मंदी में कभी बंधन में पाबंदी में कभी घर गृहस्थी के धंधे में कभी कर्तव्यों के फंदे में, ख्वाहिश उसकी झूल गई। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दूर पास के रिश्ते में महंगा राशन हो सस्ते में बच्चों और उनके बस्ते में दिन भर वो उलझी रहती है खाली रहती हो, क्या करती हो? ताने सुनती रहती है। तानों के ताने-बाने में घर अपना स्वर्ग बनाने में जीवन अपना ही भूल गयी। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दिन दिन भर वो काम करे, सोचे वो कब आराम करे?🤔 छुट्टी नहीं  पगार नहीं, उसका कोई इतवार नहीं। पुरुषों से जिसका तोल नहीं,

माँ- जीवन दायिनी (Maa - Ek Jeevan Dayini)

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 माँ - एक जीवन दायिनी एक स्त्री जब एक जन्म देती है तब दूसरा जन्म लेती है- जिसे ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कहते हैं यानी कि एक माँ । स्त्री का यह दूसरा जन्म उसके अंदर एक अद्भुत परिवर्तन लाता है। एक साधारण स्त्री निश्चल भाव से ओतप्रोत हो जाती है.. निस्वार्थ स्नेह, वात्सल्य, प्रेम और त्याग की मूरत बन जाती है। माँ के ऊपर तो दुनिया के समस्त काव्य ग्रंथ भी कम पड़ जाएंगे लेकिन फिर भी कुछ पंक्तियां एक मां का लिए 🙏 माँ ही जीवन दायिनी, स्नेह त्याग का रूप। माँ से पूजा आरती, माँ ही मंगल धूप। माँ ही शीतल छांव है, जीवन ये कड़कती धूप। सब बदले संसार में, माँ ना बदले रूप। माँ केवल एक जीवनदायिनी नहीं है बल्कि भविष्य निर्माता भी है। एक माँ ही कच्ची मिट्टी के समान अपने बच्चों में गुण, संस्कार, शिक्षा और व्यवहार की नींव  डालती है। एक बार अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा जीवन देने के लिए ना केवल अपनी नींद बल्कि अपने सपने भी हंसते हंसते न्योछावर कर देती है। दुनिया के लिए माँ एक माँ होती है लेकिन बच्चों के लिए उनकी माँ ही दुनिया होती है। माँ से शिक्षा,मिलते गुण, संस्कार व्यवहार। माँ से बनता मायका, माँ से ही परि

छोटा जीवन (Chchota Jeevan)

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 जीवन  (Jeevan) हम सभी का जीवन एक गति का पर्याय है अर्थात चलते रहने का नाम ही जीवन है। जीवन का सफर हमेशा आसान नहीं होता। ये अपने साथ तमाम उतार-चढ़ाव लेकर आता है।  जीवन के उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है हमारी गति धीमी हो जाए लेकिन हमें चलते रहना होता है। जिस प्रकार एक चींटी कभी हार नहीं मानती और अपना भोजन जुटाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहती है उसी तरह हमें अपने जीवन से हार ना मानते हुए उसे बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। चींटी सा छोटा जीवन खुद से भारी खुद का मन थकता ये फिर चलता ले आशा निष्ठा और लगन।। Dr.Anshul Saxena 

मिलावट (Milavat)

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  मिलावट (Milavat) शब्दों से शब्दों को जहां तोला जाता है, चोट दे फिर घाव को टटोला जाता है, खामोश रह वहां न करना हाल-ए-दिल बयां, मरहम में भी जहां जहर घोला जाता है।।

Khand (खंड)

 Khand (खंड) हमारे देश को आज़ादी मिले हुए तो कई वर्ष बीत गए लेकिन विचार अभी भी जंजीरों में जकड़े हुए हैं। क्या नेता क्या जनता?  जब तक धर्म और जात पात का कंकड़ आंखों में पड़ा रहेगा सामने सब कुछ किरकिरा ही नजर आएगा। आंख के बदले आंख में तो पूरा देश ही अंधा हो जाएगा। चल रहे हैं झुंड में, सिर उठा घमंड में। विचार है जंजीर में सोच मुट्ठी बंद में।। धर्मार्थ में या स्वार्थ में, जात में  हर बात में बांटते और काटते देश खंड खंड में।। मुश्किल से आजाद हुए, बंटवारे उसके बाद हुये, कब तक रहोगे जंग में? कब चलोगे संग में? बांटते और काटते, देश खंड खंड में।।

क़ाश (Kaash)

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 क़ाश   हर इंसान की अपने जीवन में कोई ना कोई ख़्वाहिश होती है कोई ना कोई सपना होता है या कुछ पाने की आरज़ू होती है। वो सपने ख्वाहिशें या आरज़ू- कुछ पूरी होती है और कुछ हमेशा के लिए अधूरी रह जाती हैं। मुट्ठी भर लोग ही शायद ऐसे होंगे जिन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें जीवन में सब कुछ मिला है और उनका कोई सपना अधूरा नहीं रहा। हम में से ज्यादातर लोग जीवन की भागा दौड़ी में आगे बढ़ते रहते हैं और अक्सर पीछे छूट जाते हैं हमारे कुछ अधूरे सपने कुछ अधूरी ख्वाहिशें कुछ अधूरी आरज़ू और साथ में रह जाता है काश। कभी-कभी सही समय पर सही निर्णय ना लेना या निर्णय लेने के बाद भी यह सोचते रहना कि वह सही था या नहीं?🤔 काश यह किया होता तो ऐसा होता काश वह किया होता तो ऐसा होता। अक्सर इस तरह के कुछ विचार जीवन में इंसान को दो राहे पर खड़ा कर देते हैं और साथ में रह जाता है काश। कभी-कभी इंसान जीवन में सबसे अनमोल चीजों की कद्र करना भूल जाता है जो हैं वक्त और अपने रिश्ते। जब दोनों हाथ से निकल जाते हैं तब रह जाता है सिर्फ़ काश। प्रस्तुत है चार पंक्तियां काश कभी ज़ुबाँ तो कभी दिल में एक राज़ रहता है, छोटी-छोटी ख्वाहिश क

आत्महत्या (Atm-hatya)

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       आत्महत्या     नमस्कार!🙏 आज की है पोस्ट उन सभी बच्चों और युवाओं के लिए है जो अपने अनमोल जीवन के महत्व को नहीं समझते। जो छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाते हैं टूट जाते हैं। जिन्होंने जीवन में अभी संघर्ष आरंभ भी नहीं किया होता वो इतनी जल्दी हार जाते हैं अपना जीवन समाप्त करने की चेष्टा करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। हमारा जीवन एक बार इस संसार में आने के बाद सिर्फ हमारा नहीं होता। हमारा जीवन हम सब से जुड़े हुए व्यक्तियों से जुड़ा हुआ होता है। आपके जीवन का महत्व आप के साथ साथ आप से जुड़े व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। संसार में भले ही हर व्यक्ति अकेले आता है और अकेले जाता है लेकिन समाज में हम सभी एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। हम सभी के लिए इन रिश्तों का बंधन हमारे जीवन का आधार बन जाता है। तो उस जीवन पर केवल अपना अधिकार समझते हुए आजकल के बच्चे और युवा अपने हाथों से उसे समाप्त करने की चेष्टा क्यों करते हैं? आज आप सभी से मेरा अनुरोध है कि अपने जीवन के महत्व को समझिए। अपने जीवन में अपने अपनों

Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

Ishq (इश्क़ )

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              इश्क़ प्रेम के भी अनगिनत रूप हैं। किसी को होता नहीं है और किसी का जाता नहीं है। कोई प्यार में मर कर भी जी जाता है और युगों युगों तक ताजमहल जैसी निशानियां छोड़ जाता है और कोई जीते जी भी मर जाता है। लेकिन अगर कुछ रह जाता है तो वह है प्रेम।  मैंने भी इस प्रेम को अपनी कल्पना में उभारा है। शब्दों से इसके चित्र को बनाया है मिटाया है प्रस्तुत है कुछ और झलकियां। सुना है तनहाई में मुझे याद करते हो, कलियों और बागवाँ से मेरी बात करते हो, खोकर भी तुमने कुछ नहीं हारा है, मुकम्मल ना सही पर इश्क़ तो तुम्हारा है।। तुम्हें पाकर भी तुम्हें ना खोती, तुम्हारी ना होकर भी तुम्हारी ना होती, अगर इश्क़ की कोई उम्र ना होती, तो तेरे नाम की धड़कन ता उम्र ना होती।।

सकारात्मकता और नकारात्मकता - एक अंतर्द्वंद् (A Conflict)

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  सकारात्मकता और नकारात्मकता - अंतर्द्वंद् (A Conflict) प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रतिदिन एक द्वंद सा रहता है। अक्सर यह द्वंद सकारात्मकता और नकारात्मकता के मध्य होता है।  यह सकारात्मकता और नकारात्मकता परस्पर जल और अग्नि के समान होते हैं। जल जो शीतलता देता है अग्नि जो यदि दहक जाए तो सब दहन कर देती है। इस द्वंद में यदि जल की मात्रा अधिक हो तो वह अग्नि को बुझा देता है पर यदि अग्नि की मात्रा अधिक हो तो वह जल को सुखा देती है। क्या आप जानते हैं कि आपके अंदर होने वाले इस सकारात्मकता और नकारात्मकता के द्वंद में कौन विजयी होता है। इस द्वंद में वही विजयी होता है जिसकी मात्रा को आप बढ़ावा देते हैं। दोस्तों अपने अंदर की नकारात्मकता की अग्नि को इतना मत बढ़ने दीजिए कि वह आपके अंदर की जल रुपी सकारात्मकता को भी सुखा दे और सब दहन कर दे। स्वयं भी सकारात्मक रहिये और औरों को सकारात्मकता की शीतलता प्रदान कीजिए। Be positive and let the positivity win inside you.