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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

एक सार/ Ek saar

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  जीवन का एक सार लिए, कुछ बातों का भार लिए, हम कड़वाहट को पीते हैं, और हंस के जीवन जीते हैं।। कुछ लोग यह जान नहीं पाते, क्या होते हैं रिश्ते नाते, बेवजह की गुत्थमगुत्थी में, वो हारे हैं या जीते हैं।। क्या लाये क्या ले जाओगे, जो बाँटोगे वो पाओगे, कभी-कभी दिल को चुप कर, हम होठों को सीते हैं।। और हंस के जीवन जीते हैं।। Dr. Anshul Saxena