Posts

Showing posts with the label Hindi poems

फर्क़ - मर्द और औरत का

Image
  फर्क़ मर्द और औरत का  आधुनिक युग में बहुत से लोग कहते हैं कि एक मर्द और औरत में कोई फर्क नहीं होता और वह तो कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। क्या वास्तव में ऐसा संभव हो सका है? बहुत से क्षेत्र में नारी ने पुरुष के साथ कन्धे से कंधा मिलाया है लेकिन यथार्थ के धरातल पर या यूँ कहें वास्तविक जीवन में बहुत सी ऐसी नारियां है जो जीवन में बहुत कुछ करना चाहती हैं लेकिन कभी परिस्थितियों वश, कभी कर्तव्यनिष्ठा या कभी अपनी जिम्मेदारियां की वजह से वे वह नहीं कर पाती जो वे कर सकती हैं। अपना नाम, पहचान, घर-परिवार सब को छोड़ने के बाद भी अंतत: कई बार नारी को अपने सपने भी अपनों के लिए छोड़ने पड़ जाते हैं।  तो बस इसी संदर्भ में यहां मैंने कुछ अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। बचपन में सपनों को उड़ान मिलती है  अपनों से अपनेपन की मुस्कान मिलती है यहाँ दूसरे घर की वहाँ पराई रहती है  छिन जाता है वो नाम जो पहचान मिलती है बड़े होते-होते उसके पंख कट जाते हैं।  कभी गृहस्थी तो कभी जिम्मेदारी में बँट जाते हैं  उसे तो अपनी जिंदगी जीने का भी हक नहीं है  और कहते हो कि मर्द और औरत...

Hindi Kavita Saath (हिंदी कविता साथ)

Image
साथ  कठिनाइयां भी हों सरल हार हो जाए विफल मझधार में कश्ती खड़ी आगे भी जाएगी निकल तुम हाथ तो दो।। बीत जाएंगे ये पल फिर नहीं मिलेंगे कल हौसला फिर हो सबल आशा का खिल जाए कमल तुम साथ तो दो।। By- Dr.Anshul Saxena 

बेटियाँ (Betiyan)

Image
 बेटियाँ  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

Image
 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

सुकून (Sukoon)

Image
                          सुकून सुकून एक वह अनमोल खजाना है जो किसी को मिल जाए तो उसके आगे चांदी सोना रुपये पैसे का भी कोई मोल नहीं क्योंकि सुकून को पा सकते हैं खो सकते हैं लेकिन खरीद नहीं सकते। कितनों का यही दर्द कितनों का यही ग़म। ढूंढे जिसे ज़माना मिलता है ज़रा कम। हंसना यहीं रोना यहीं, पाना यहीं खोना यहीं, ना चांदी जहाँ सोना नहीं। दिल का सुकून होना वहीं।। आज उम्र के इस पड़ाव पर हम सभी की जिंदगी चक्की की तरह चलती है। जहां हमें सुकून ढूंढना पड़ता है और जब यह मिलता है तब वह किसी खजाने से कम नहीं लगता। एक ज़माना था जब यह हमेशा ही हमारे पास रहता था। जब दिल में उमंग थी कुछ पाना जुनून था बचपन के थे वो दिन जब दिल का सुकून था। अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगी

हिंदी को स्वीकार करो (Hindi ko sweekar karo)

Image
 हिंदी को स्वीकार करो  (Hindi ko sweekar karo) वंचित अपने अधिकारों से, छलनी अपनों के वारों से, औरों पे पड़ती भारी जो। अपने ही देश में हारी वो।। एबीसी के चक्कर में, हस्ताक्षर में या अक्षर में, खोयी ऐसी हर दफ्तर में, वो निजी हो या सरकारी हो।। अंग्रेज़ी पर इतराते हम और हिंदी से घबराते हम चलो हिंदी को अपनाते हैं, चलो 2 का बटन दबाते हैं, एबीसीडी सीख ली हमने, अब क ख ग भी सिखाते हैं। हेलो हाय को बाय करो, नमस्कार को प्यार करो, हिंदुस्तान के वासी हो, हिंदी को स्वीकार करो।। Dr.Anshul Saxena 

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

Image
  हर घर तिरंगा  ( Har Ghar Tiranga) आजादी का अमृत उत्सव, देश भक्ति में रंग बिरंगा, देश प्रेम का तिलक लगा सब, हर घर में लहराओ तिरंगा।। आतंक पनपने ना पाए, घर के भेदी घर को जाएं, आओ हम ऐसे मिल जाएं, ना फ़साद ना हो फिर दंगा। हर घर में लहराओ तिरंगा।। हर अतिथि का हो अभिनंदन, हर धर्म का करते हम वंदन, इस देश की माटी जैसे चंदन, देश प्रेम पावन ज्यों गंगा। हर घर में लहराओ तिरंगा।।

गृहणी (Grahani)

Image
  गृहणी (Grahani) समाज में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली एक ऐसी स्त्री जो शिक्षित भी है, काबिल भी है, जिसके अपने सपने भी हैं लेकिन उन सब से ऊपर उसके अपने भी हैं। जो अपना घर सजाने और बच्चों को बनाने में अपने सपने और अपनी ख्वाहिशों का हंसते-हंसते बलिदान दे देती है और फिर भी उसके बारे में बहुत कुछ अनकहा रह जाता है।  मेरा एक छोटा सा प्रयास है उस स्त्री के बारे में कुछ कहने का जिसका पूरा घर ऋणी होता है और जिसे गृहणी कहते हैं। कभी तंगी में कभी मंदी में कभी बंधन में पाबंदी में कभी घर गृहस्थी के धंधे में कभी कर्तव्यों के फंदे में, ख्वाहिश उसकी झूल गई। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दूर पास के रिश्ते में महंगा राशन हो सस्ते में बच्चों और उनके बस्ते में दिन भर वो उलझी रहती है खाली रहती हो, क्या करती हो? ताने सुनती रहती है। तानों के ताने-बाने में घर अपना स्वर्ग बनाने में जीवन अपना ही भूल गयी। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दिन दिन भर वो काम करे, सोचे वो कब आराम करे?🤔 छुट्टी नहीं  पगार नहीं, उसका कोई इतवार नहीं। पुरुषों से ज...

आत्महत्या (Atm-hatya)

Image
       आत्महत्या     नमस्कार!🙏 आज की है पोस्ट उन सभी बच्चों और युवाओं के लिए है जो अपने अनमोल जीवन के महत्व को नहीं समझते। जो छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाते हैं टूट जाते हैं। जिन्होंने जीवन में अभी संघर्ष आरंभ भी नहीं किया होता वो इतनी जल्दी हार जाते हैं अपना जीवन समाप्त करने की चेष्टा करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। हमारा जीवन एक बार इस संसार में आने के बाद सिर्फ हमारा नहीं होता। हमारा जीवन हम सब से जुड़े हुए व्यक्तियों से जुड़ा हुआ होता है। आपके जीवन का महत्व आप के साथ साथ आप से जुड़े व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। संसार में भले ही हर व्यक्ति अकेले आता है और अकेले जाता है लेकिन समाज में हम सभी एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। हम सभी के लिए इन रिश्तों का बंधन हमारे जीवन का आधार बन जाता है। तो उस जीवन पर केवल अपना अधिकार समझते हुए आजकल के बच्चे और युवा अपने हाथों से उसे समाप्त करने की चेष्टा क्यों करते हैं? आज आप सभी से मेरा अनुरोध है कि अपने जीवन के महत्व को समझ...

रिश्ते (Rishte)

Image
  नमस्कार! आज साल का आखिरी दिन है और इस दिन मैं आप सभी के साथ एक छोटी सी लेकिन गहरी बात करना चाहती हूं। हमारे जीवन में हर रिश्ता एक मोती की तरह होता है और सारे मोती मिलाकर एक माला बनती है। यदि रिश्तो की माला में से एक मोती भी इधर उधर होता है तो पूरी माला बिखर जाती है। कभी-कभी लोग इन्हीं रिश्तो को अपनी सहूलियत से जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल करते हैं। जिंदगी में रिश्ते बहुत अहमियत रखते हैं। रिश्ते बनाना बहुत आसान है लेकिन उन्हें निभाना थोड़ा कठिन। रिश्ते अक्सर बड़ी बातों पर नहीं परंतु छोटी-छोटी बातों से बिखर जाते हैं। याद रखिए यदि आप किसी के जीवन में अहमियत रखते हैं तो उस व्यक्ति की भी आपके जीवन में उतनी ही अहमियत होती है। जीवन बहुत छोटा है इसमें छोटी-छोटी बातों को दिल से लगाने की जगह नहीं होनी चाहिए।  शिकवे शिकायतों की बोझ को दिल से निकाल फेंकिये और नव वर्ष में नई शुरुआत कीजिए। आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं🙏😊 एक दूजे की थाह लिए, दिल में मिलने की चाह लिए, फिर भी वो रिश्ते बिखर गए, जो छोटी बात पर ठहर गए।। रिश्तों को अग़र निभाना है, समझो भी ग़र समझाना है, सब समझ बात ये...

सफ़र - उम्र का

Image
 सफ़र - उम्र का नमस्कार🙏  परिवर्तन तो संसार का नियम है और बदलते वक्त के साथ उम्र में आया परिवर्तन भी उस ही नियम का हिस्सा है। लेकिन हममें से अधिकांश लोग अधिकतर वक्त के साथ आए उम्र के परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। चाहे वह परिवर्तन खुद का हो या अपनों का हो। परंतु वक्त ही वक्त के साथ हमें इस परिवर्तन के लिए सहज होना सिखा देता है। यही सहजता परिवर्तन की गरिमा को बढ़ा देती है और जारी रहता है सफर -उम्र का। इस सफर की श्रंखला अगली कविता तक जारी रहेगी। वक्त की स्याही में जब, उम्र यह घुल जाएगी, कुछ तजुर्बों की लकीरें, चेहरे पे भी ले आएगी। दिन तो कब का ढल चुका यह शाम भी ढल जाएगी चांद यौवन का ढलेगा चांदनी रह जाएगी।।

श्रद्धांजलि- सीडीएस बिपिन रावत

Image
 श्रद्धांजलि- सीडीएस बिपिन रावत मान यान का ध्वस्त हुआ, देश का सूरज अस्त हुआ, नितदिन जो तेज दमकता था, किसी और लोक ही निकल गया। हम कृतज्ञ करबद्ध खड़े हैं, शब्द भी मौन निशब्द पड़े हैं, दुश्मन भी जिस को छू ना सका, उसे काल चक्र ही निगल गया। संपूर्ण जगत का जल मानो, नैन नीर में बदल गया, हिमखंड सा वीर सपूत देश का, मां की गोद में पिघल गया। By- Dr.Anshul Saxena 

तालिबानी सोच (Talibani Soch)

Image
       तालिबानी सोच  नमस्कार! इस दुनिया में हो रहे तालिबानी खेल को तो हम सभी देख रहे हैं लेकिन आश्चर्य और अफसोस उन लोगों के लिए होता है जो कहने को तो हिंदुस्तानी है मगर सोच से तालिबानी है। मेरी पूरी कविता "तालिबानी सोच"को सुनने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को जरूर देखें। जय हिंद जय भारत🙏   लानत है उन गद्दारों पे, जो प्यार करें हथियारों से, जो पीठ में चाकू घोंपते हैं, बदतर हैं वो हत्यारों से।। कहते इस देश में डरते हैं, आज़ादी-आज़ादी करते हैं, असली आज़ादी का मतलब, ज़रा पूछो उन अफ़गानों से।। मुमकिन है जान बचा लें वो, आतंकी खूनी मंजर से, कैसे यह मुल्क़ बचाओगे? कुछ उन झूठे मक्कारों से।। जो कहने को हिंदुस्तानी हैं, पर सोच से तालिबानी हैं, हल ढूंढो कल ग़र बचना है इनके आतंकी वारों से।।            Dr.Anshul Saxena 

सावन (Saawan)

Image
                           सावन   भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। तृप्ति दे तपती धरा की तपन को, वो ठंडी पवन और मेघों का गरजना।। वो बारिश की बूंदों का मिट्टी पर पड़ना , वह सोंधी सी खुशबू का हौले से उड़ना, कोयल और मैना का खिल के चहकना, पत्तों के झुरमुट में उड़ के सिमटना, भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। वो सतरंगी रंगों का नभ में निखरना, अनुपम छटा का धरा पर बिखरना, काली घटा का घुमड़ कर बरसना, तृप्ति ले बिसरा दे चातक तरसना।। भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। वो नन्हे से बीजों में कोपल का फटना, वह बूंदों से जल में तरंगों का उठना, वो प्रेमी के दिल में उमंगें उभरना, मनमोहक मयूरा को भाये थिरकना।। भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।।

कारोबार (Karobaar)

Image
       कारोबार (Karobaar) बीते हुए वक्त से क्यों प्यार करती है, मासूमियत को छीन समझदार करती है, मुनाफ़े में देती दिल का सुकून मुझे, मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।। कभी रूठती मुझसे तो कभी प्यार करती है, ख्वाहिशों में खुशियों की दरक़ार करती है, कभी देती नक़द तो कभी उधार करती है, मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।। सो जाऊं मैं फिर भी जतन हज़ार करती है, ख्वाब में दस्तक यह बार-बार करती है, नींद ले फिर ख़्वाब दे सौदा करे ऐसा, मेरी ज़िंदगी यादों का कारोबार करती है।। Dr.Anshul Saxena

हमारी माधुरी ( Humari Madhuri )

Image
 हमारी माधुरी  मधु से मधुर हैं माधुरी🍯         बस धीरे से मुस्कायें😍 नृत्य कला बेजोड़ है इनकी💃🏽 भाव भंगिमा भायें।।👌 देवी गौरी चंद्रमुखी,👸 मोहिनी सी अदाएं,🧚‍♀️ भोली सी सूरत , आंखों में मस्ती, दूर खड़ी शर्माएं। आय हाये🙆‍♀️ कोई प्रेम प्रतिज्ञा ले बैठा, कोई देवदास बन जाएं, क्या राम लखन क्या थानेदार, कोई आपको भूल ना पाएं।। दिल है दिल तो पागल है,💗 वो कैसे यह बतलायें? राजा साजन राजकुमार, आपसे पूछना चाहे, कि हम आपके हैं कौन? अब कौन उन्हें समझाए।। धक धक धड़के कितने दिल,💓 धड़कन काबू ना कर पाए, टूटे दिल की धड़कन को,💔 श्री राम ही पार लगाये।।👨‍⚕️ आजा नचले जब आप कहें, तब पैर थिरकते जाएं,💃🏽 ना आप सा कोई अब तक था, कोई आप सा ना बन पाए।।🙏 जब भारत छोड़कर आप गयीं, बस चाहा लौट के आ जाएं सूना था फिल्म जगत ऐसे बिन लौ के दीपक हो जाए।।🔥 मुद्दत से एक तमन्ना है कभी आप से हम मिल पाएं, बड़े बड़े हैं फैन मगर, कभी हम भी नज़र में आएं।।🙏

Ishq ki kashmkash ( इश्क़ की कश्मक़श)

Image
  क़श्मक़श इश्क़ की उसे समझाना क्या, जो बिन कहे सुन ले उसे बताना क्या,  जज़्बात की ज़ुबाँ तो लफ़्ज़ों से परे है, जो महसूस ना करे उसे जताना क्या।। Dr.Anshul Saxena 

गुज़रा ज़माना (Guzra Zamana)

Image
  गुज़रा ज़माना (Guzra Zamana) कहां गया वो गुज़रा जमाना, वो हंसना हंसाना खुशियां मनाना, अक्सर बनाकर फिर नया बहाना वो मिलना मिलाना बेवजह मुस्कुराना।।  दूर के रिश्तों को अपना बताना, शादी के घर में वो मजमे लगाना, मदद में जुट जाना फिर भी ना जताना, एक थाली में खाना और गप्पें लड़ाना।।  सिमटने लगे अब रिश्तों के दामन, फ्लैट बन गए घरों के वो आंगन, ऊंची दुकान पर फीके पकवान, झूठी तस्वीरों में नकली मुस्कान।।  तब झगड़े थे झूठे मुस्कानें सच्ची थीं , ए सी नहीं था पर गर्मियां अच्छी थीं, हम मिट्टी में खेले कपड़े भले थे मैले, मिल बांट के झेले थे सारे झमेले।।  समय के चक्कर ने हम सब को घेरा, लगता नहीं अब मेहमानों का डेरा, रख लो छुपा के यादों का ख़ज़ाना। आता नहीं जाकर गुज़रा ज़माना।। Dr. Anshul Saxena 

भाषा और बेटी (Bhasha Aur Beti)

Image
  जिस देश में जन्मी बड़ी हुई, कोने में छुप के खड़ी हुई, स्थान तलाशे वो अपना, कागज़ में सिमटी पड़ी हुई।। अपनों की पीढ़ी ठगती गई, ग़ैरों की भाषा बढ़ती गई, शिक्षा के जगत में पिछड़ गई, अपनों से जैसे बिछड़ गई।। तुम ठुकराओगे तो कौन अपनाएगा? लगातार तिरस्कार कब रुक पाएगा? भाषा और बेटी गर्व हैं सम्मान हैं, देश का ये गौरव देश का ये मान हैं, सत्य चुभेगा कड़वा लगेगा, अपने ही घर में ये पराई समान हैं।। Dr.Anshul Saxena 

एक सार/ Ek saar

Image
  जीवन का एक सार लिए, कुछ बातों का भार लिए, हम कड़वाहट को पीते हैं, और हंस के जीवन जीते हैं।। कुछ लोग यह जान नहीं पाते, क्या होते हैं रिश्ते नाते, बेवजह की गुत्थमगुत्थी में, वो हारे हैं या जीते हैं।। क्या लाये क्या ले जाओगे, जो बाँटोगे वो पाओगे, कभी-कभी दिल को चुप कर, हम होठों को सीते हैं।। और हंस के जीवन जीते हैं।। Dr. Anshul Saxena