Featured Post

Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

Image
 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

तालिबानी सोच (Talibani Soch)

 

     तालिबानी सोच

 नमस्कार!

इस दुनिया में हो रहे तालिबानी खेल को तो हम सभी देख रहे हैं लेकिन आश्चर्य और अफसोस उन लोगों के लिए होता है जो कहने को तो हिंदुस्तानी है मगर सोच से तालिबानी है।
मेरी पूरी कविता "तालिबानी सोच"को सुनने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को जरूर देखें। जय हिंद जय भारत🙏

 

Talibani Soch @expressionshub.co.in

लानत है उन गद्दारों पे,
जो प्यार करें हथियारों से,
जो पीठ में चाकू घोंपते हैं,
बदतर हैं वो हत्यारों से।।

कहते इस देश में डरते हैं,
आज़ादी-आज़ादी करते हैं,
असली आज़ादी का मतलब,
ज़रा पूछो उन अफ़गानों से।।

मुमकिन है जान बचा लें वो,
आतंकी खूनी मंजर से,
कैसे यह मुल्क़ बचाओगे?
कुछ उन झूठे मक्कारों से।।

जो कहने को हिंदुस्तानी हैं,
पर सोच से तालिबानी हैं,
हल ढूंढो कल ग़र बचना है
इनके आतंकी वारों से।।

           Dr.Anshul Saxena 



Comments

Popular posts from this blog

अभिलाषा: एक बेटी की

सुनहरा बचपन

उम्र और सोच- एक कहानी (Umra Aur Soch- Ek Kahani)

आजकल हर शख़्स व्यस्त है?

अनोखे नौजवान (Anokhe Naujawan)

ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है

सच्चा गुरु (Sachcha Guru)

कोरोना वायरस

रिश्तों के पत्ते (Rishton ke Patte)

क़त्ल (Katl)