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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

सकारात्मकता और नकारात्मकता - एक अंतर्द्वंद् (A Conflict)

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  सकारात्मकता और नकारात्मकता - अंतर्द्वंद् (A Conflict) प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रतिदिन एक द्वंद सा रहता है। अक्सर यह द्वंद सकारात्मकता और नकारात्मकता के मध्य होता है।  यह सकारात्मकता और नकारात्मकता परस्पर जल और अग्नि के समान होते हैं। जल जो शीतलता देता है अग्नि जो यदि दहक जाए तो सब दहन कर देती है। इस द्वंद में यदि जल की मात्रा अधिक हो तो वह अग्नि को बुझा देता है पर यदि अग्नि की मात्रा अधिक हो तो वह जल को सुखा देती है। क्या आप जानते हैं कि आपके अंदर होने वाले इस सकारात्मकता और नकारात्मकता के द्वंद में कौन विजयी होता है। इस द्वंद में वही विजयी होता है जिसकी मात्रा को आप बढ़ावा देते हैं। दोस्तों अपने अंदर की नकारात्मकता की अग्नि को इतना मत बढ़ने दीजिए कि वह आपके अंदर की जल रुपी सकारात्मकता को भी सुखा दे और सब दहन कर दे। स्वयं भी सकारात्मक रहिये और औरों को सकारात्मकता की शीतलता प्रदान कीजिए। Be positive and let the positivity win inside you.