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बेटियाँ (Betiyan)

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  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

सकारात्मकता और नकारात्मकता - एक अंतर्द्वंद् (A Conflict)

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  सकारात्मकता और नकारात्मकता - अंतर्द्वंद् (A Conflict) प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रतिदिन एक द्वंद सा रहता है। अक्सर यह द्वंद सकारात्मकता और नकारात्मकता के मध्य होता है।  यह सकारात्मकता और नकारात्मकता परस्पर जल और अग्नि के समान होते हैं। जल जो शीतलता देता है अग्नि जो यदि दहक जाए तो सब दहन कर देती है। इस द्वंद में यदि जल की मात्रा अधिक हो तो वह अग्नि को बुझा देता है पर यदि अग्नि की मात्रा अधिक हो तो वह जल को सुखा देती है। क्या आप जानते हैं कि आपके अंदर होने वाले इस सकारात्मकता और नकारात्मकता के द्वंद में कौन विजयी होता है। इस द्वंद में वही विजयी होता है जिसकी मात्रा को आप बढ़ावा देते हैं। दोस्तों अपने अंदर की नकारात्मकता की अग्नि को इतना मत बढ़ने दीजिए कि वह आपके अंदर की जल रुपी सकारात्मकता को भी सुखा दे और सब दहन कर दे। स्वयं भी सकारात्मक रहिये और औरों को सकारात्मकता की शीतलता प्रदान कीजिए। Be positive and let the positivity win inside you.