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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

सकारात्मकता और नकारात्मकता - एक अंतर्द्वंद् (A Conflict)

 

सकारात्मकता और नकारात्मकता - अंतर्द्वंद् (A Conflict)

प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रतिदिन एक द्वंद सा रहता है। अक्सर यह द्वंद सकारात्मकता और नकारात्मकता के मध्य होता है। 

यह सकारात्मकता और नकारात्मकता परस्पर जल और अग्नि के समान होते हैं। जल जो शीतलता देता है अग्नि जो यदि दहक जाए तो सब दहन कर देती है।


इस द्वंद में यदि जल की मात्रा अधिक हो तो वह अग्नि को बुझा देता है पर यदि अग्नि की मात्रा अधिक हो तो वह जल को सुखा देती है।


क्या आप जानते हैं कि आपके अंदर होने वाले इस सकारात्मकता और नकारात्मकता के द्वंद में कौन विजयी होता है।
इस द्वंद में वही विजयी होता है जिसकी मात्रा को आप बढ़ावा देते हैं।


दोस्तों अपने अंदर की नकारात्मकता की अग्नि को इतना मत बढ़ने दीजिए कि वह आपके अंदर की जल रुपी सकारात्मकता को भी सुखा दे और सब दहन कर दे।
स्वयं भी सकारात्मक रहिये और औरों को सकारात्मकता की शीतलता प्रदान कीजिए।


Be positive and let the positivity win inside you.

सकारात्मकता और नकारात्मकता - अंतर्द्वंद् (A Conflict)



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