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Showing posts from May, 2022

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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

माँ- जीवन दायिनी (Maa - Ek Jeevan Dayini)

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 माँ - एक जीवन दायिनी एक स्त्री जब एक जन्म देती है तब दूसरा जन्म लेती है- जिसे ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कहते हैं यानी कि एक माँ । स्त्री का यह दूसरा जन्म उसके अंदर एक अद्भुत परिवर्तन लाता है। एक साधारण स्त्री निश्चल भाव से ओतप्रोत हो जाती है.. निस्वार्थ स्नेह, वात्सल्य, प्रेम और त्याग की मूरत बन जाती है। माँ के ऊपर तो दुनिया के समस्त काव्य ग्रंथ भी कम पड़ जाएंगे लेकिन फिर भी कुछ पंक्तियां एक मां का लिए 🙏 माँ ही जीवन दायिनी, स्नेह त्याग का रूप। माँ से पूजा आरती, माँ ही मंगल धूप। माँ ही शीतल छांव है, जीवन ये कड़कती धूप। सब बदले संसार में, माँ ना बदले रूप। माँ केवल एक जीवनदायिनी नहीं है बल्कि भविष्य निर्माता भी है। एक माँ ही कच्ची मिट्टी के समान अपने बच्चों में गुण, संस्कार, शिक्षा और व्यवहार की नींव  डालती है। एक बार अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा जीवन देने के लिए ना केवल अपनी नींद बल्कि अपने सपने भी हंसते हंसते न्योछावर कर देती है। दुनिया के लिए माँ एक माँ होती है लेकिन बच्चों के लिए उनकी माँ ही दुनिया होती है। माँ से शिक्षा,मिलते गुण, संस्कार व्यवहार। माँ से बनता मायका, माँ से ही परि