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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है

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ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है तू कभी हंसती है  तो कभी रोती है ए ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है। भुला दो सारे शिकवे गिले जो अपने हो उन्हें लगा लो गले जी भर के जी लो आज अभी क्या पता कल मिले ना मिले कल की ना दे ख़बर सपने मग़र बोती है ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बड़ी छोटी है।। किसी से रूठे हो तो उसे मना लो दिल में हो प्यार तो उसे जता दो क्या लिया क्या दिया ये हिसाब छोड़कर जो हो तुम्हारे पास बेहिसाब लुटा दो कर लो अगर क़दर तो आंसू भी मोती है ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है।। Dr.Anshul Saxena