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Showing posts from June, 2021

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बेटियाँ (Betiyan)

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  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

सावन (Saawan)

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                           सावन   भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। तृप्ति दे तपती धरा की तपन को, वो ठंडी पवन और मेघों का गरजना।। वो बारिश की बूंदों का मिट्टी पर पड़ना , वह सोंधी सी खुशबू का हौले से उड़ना, कोयल और मैना का खिल के चहकना, पत्तों के झुरमुट में उड़ के सिमटना, भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। वो सतरंगी रंगों का नभ में निखरना, अनुपम छटा का धरा पर बिखरना, काली घटा का घुमड़ कर बरसना, तृप्ति ले बिसरा दे चातक तरसना।। भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।। वो नन्हे से बीजों में कोपल का फटना, वह बूंदों से जल में तरंगों का उठना, वो प्रेमी के दिल में उमंगें उभरना, मनमोहक मयूरा को भाये थिरकना।। भीगी सी रुत में वो सावन बरसना। मतवाली हो फिर धरा का महकना।।

मन की आवाज़ (Man Ki Awaaz)

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            मन की आवाज़ आप लोगों ने यह बखूबी सुना होगा कि  सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग। यह रोग तो कोरोना के रोग से भी बड़ा है। सही ग़लत छोड़कर लोगों की परवाह कई बार आपको आगे बढ़ने से रोकती रहती है। आखिर यह परवाह कितनी उचित है? उतनी ही जब तक आप अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन सकें। आपकी अंतरात्मा कभी आपसे झूठ नहीं बोलती। सामाजिक दबाव में इतना मत आइये कि आप सही गलत का अंतर भूल जाएं। दोस्तों बाहर बहुत शोर है कभी इत्मीनान से बैठिए और खुद से बातें कीजिए। सही ग़लत की सारी परतें खुद-ब-खुद  खुल जाएंगी।🙏 इतना तो उजाला रखो तुम, कि अपनी परछाई दिखाई दे। बस उतना ही सुनना लोगों की, कि अपनी आवाज़ सुनाई दे।।

कोरोना स्वाहा (Corona Swaha)

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 कोरोना स्वाहा (Corona Swaha) तैर हवा में आता तू, कौन सा बैर निभाता तू, अत्याचारी दे बीमारी, तू ले आया संकट भारी। दानव सा रूप बदलता तू, चुपके से जीवन छलता तू, तू खेल रहा है भावों से, और जीत रहा है हर पारी। माना घनघोर अंधेरा है, हर रात के बाद सवेरा है, तू अभिमानी कर मनमानी, भेष बदलता विषधारी।। हम सावधान है तैयारी, ईश्वर से हर शक्ति हारी, तेरी हार की कर ली अज्ञारी, स्वाहा तू अब तेरी बारी।। Dr.Anshul Saxena 

कारोबार (Karobaar)

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       कारोबार (Karobaar) बीते हुए वक्त से क्यों प्यार करती है, मासूमियत को छीन समझदार करती है, मुनाफ़े में देती दिल का सुकून मुझे, मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।। कभी रूठती मुझसे तो कभी प्यार करती है, ख्वाहिशों में खुशियों की दरक़ार करती है, कभी देती नक़द तो कभी उधार करती है, मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।। सो जाऊं मैं फिर भी जतन हज़ार करती है, ख्वाब में दस्तक यह बार-बार करती है, नींद ले फिर ख़्वाब दे सौदा करे ऐसा, मेरी ज़िंदगी यादों का कारोबार करती है।। Dr.Anshul Saxena