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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

कारोबार (Karobaar)

       कारोबार (Karobaar)

कारोबार (Karobaar)Hindi Quote about life by Dr.Anshul Saxena@expressionshub


बीते हुए वक्त से क्यों प्यार करती है,


मासूमियत को छीन समझदार करती है,


मुनाफ़े में देती दिल का सुकून मुझे,


मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।।


कभी रूठती मुझसे तो कभी प्यार करती है,


ख्वाहिशों में खुशियों की दरक़ार करती है,


कभी देती नक़द तो कभी उधार करती है,


मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।।


सो जाऊं मैं फिर भी जतन हज़ार करती है,


ख्वाब में दस्तक यह बार-बार करती है,


नींद ले फिर ख़्वाब दे सौदा करे ऐसा,


मेरी ज़िंदगी यादों का कारोबार करती है।।


Dr.Anshul Saxena 



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