कारोबार (Karobaar)
कारोबार (Karobaar)
बीते हुए वक्त से क्यों प्यार करती है,
मासूमियत को छीन समझदार करती है,
मुनाफ़े में देती दिल का सुकून मुझे,
मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।।
कभी रूठती मुझसे तो कभी प्यार करती है,
ख्वाहिशों में खुशियों की दरक़ार करती है,
कभी देती नक़द तो कभी उधार करती है,
मेरी जिंदगी यादों का कारोबार करती है।।
सो जाऊं मैं फिर भी जतन हज़ार करती है,
ख्वाब में दस्तक यह बार-बार करती है,
नींद ले फिर ख़्वाब दे सौदा करे ऐसा,
मेरी ज़िंदगी यादों का कारोबार करती है।।
Dr.Anshul Saxena
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