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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

कोरोना स्वाहा (Corona Swaha)

 कोरोना स्वाहा (Corona Swaha)



तैर हवा में आता तू,
कौन सा बैर निभाता तू,
अत्याचारी दे बीमारी,
तू ले आया संकट भारी।

दानव सा रूप बदलता तू,
चुपके से जीवन छलता तू,
तू खेल रहा है भावों से,
और जीत रहा है हर पारी।

माना घनघोर अंधेरा है,
हर रात के बाद सवेरा है,
तू अभिमानी कर मनमानी,
भेष बदलता विषधारी।।

हम सावधान है तैयारी,
ईश्वर से हर शक्ति हारी,
तेरी हार की कर ली अज्ञारी,
स्वाहा तू अब तेरी बारी।।

Dr.Anshul Saxena 


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