दामाद
दामाद दामाद भी तो एक बेटा ही होता है। इस घर का नहीं तो उस घर का होता है। दामाद भी तो एक बेटा ही होता है।। किसी की अमानत को धरोहर बना, दिल में बिठा के ऐसे संजोता है, कि वह हंसती है तो हंसता है, वह रोती है तो रोता है।। दामाद भी तो एक बेटा ही होता है।। अपने नाम का सिन्दूर मांग में सजा किसी के मान को सम्मान देता है। किसी की बेटी को पत्नी बना, एक अधिकार एक परिवार देता है, दामाद भी तो एक बेटा ही होता है।। आशा की सीपी में वादों के मोती, जीवन की माला में रच के पिरोता है, प्रेम से निष्ठा से कर्तव्य बोध रख सभी के हृदय में स्थान लेता है।। दामाद भी तो एक बेटा ही होता है।। दामाद भी तो एक बेटा ही होता है।। Dr.Anshul Saxena