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Showing posts from August, 2018

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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

विवाह- मेहमान और उपहार

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 शुभ विवाह संपन्न,🙏  फिर सब शुरू हो जाते हैं,  जो जाते हैं जो बुलाते हैं,   सबकी शिकायतों के  बस्ते खुल जाते हैं।।🤗  लोग क्या लाते हैं,  क्या दे जाते हैं,  आइए ऐसी टीका- टिप्पणियों का,  मिलकर लुत्फ़ उठाते हैं।।🤓 एक को बुलाओ तो, चार चार आते हैं,😏 हज़ारों लेते हैं, सौ पाँच सौ दे जाते हैं।।🙄 कुछ नकली हार भी,  सोने का बताते हैं,😎 बहुत क़ीमती है, ऐसा दिखाते हैं।😂 कुछ लोग तो पता नहीं, क्या-क्या दे जाते हैं,  अपने अन उपयोगी उपहारों को,  बड़ी शान से थमाते हैं।🙌 कुछ शादी की खुशी इस तरह मनाते हैं, एक दो नहीं आठ दस टिकाते हैं,🍻 फिर क्या देना है कुछ याद नहीं रहता, अंत में खाली लिफ़ाफ़ा ही दे आते हैं।।😂 कुछ खाने में क्या है,  ऐसी जानकारी जुटाते हैं,🍖🍔🍜🍛 ऐसे अवसर कहां बार-बार आते हैं,🍕🌭🌮🌯🍨 इसलिए एक एक चीज़ जी भर के खाते हैं।। कुछ लोग तो, पूरी थाली भर लाते हैं,🍱 फिर मिले ना मिले, इस तरह चबाते हैं।।😆 जो आते हैं उन सब से, मिल भी नहीं पाते हैं,🤔 फिर भी जो नहीं आते उनसे, नाराज़ हो जाते हैं।😏 फिर मत कहिएगा कि बताया नहीं, सभी तो म

शॉपिंग बालाएं

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  डिस्काउंट आने पर जो झूम जाती हैं,🙌 डिस्काउंट के गणित में वो घूम जाती हैं,🤔😇 एक चीज लेनी हो दस चीज लाती हैं,🤗 कभी दस में भी कुछ लिए बिना लौट आती हैं,😣 शॉपिंग इनकी जन्नत मॉल इनका स्वर्ग😃 महिलाएं या बालाएं कहां समझ आती हैं।🙅 एक ड्रेस जब दो जगह पहन जाती हैं,👗 अगली जगह उसी ड्रेस को पुराना बताती हैं, अपने जैसी ड्रेस कहीं देख आती हैं,  तो महंगी से महंगी ड्रेस ना इन्हें भाती हैं, आधे कपड़े भी ठीक से पहन नहीं पाती हैं,  फिर भी भरी अलमारी खाली बताती हैं।।🙆 कभी कहीं कभी कहीं अक्सर ये जाती हैं,  फिर भी कहां जाऊं यह सवाल उठाती हैं,🤔 आपकी हां या ना में बस इतना फर्क़ है, हां की तो जेब कटी ना में बेडा ग़र्क है, हर तर्क अंत में यह जीत जाती हैं,👧 पिता हो या पति उन्हें मना ही लाती हैं।। By:- Dr.Anshul Saxena