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Showing posts from July, 2018

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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

शादी का कार्ड

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शादी का कार्ड इतना बलवान, आपसे ज्यादा इसका मान, जब यह मिले तभी सम्मान, ना मिले तो भ्रकुटी कमान।।😤  प्रथम निमंत्रण आपको,  पूरे करिए काम,🙏  फिर भी मेरी मानिए,  सब इतना नहीं आसान।।  कुछ मान्य लोग हैं,😎  सम्मान होना चाहिए😀  ये आएं या ना आएं,  कार्ड होना चाहिए,  घर में भीगी बिल्ली   शादी में बनें महान।।  शादी का कार्ड...... रीति रिवाज तमाम होने चाहिए, सगे-संबंधियों का नाम होना चाहिए, सपरिवार लिखना भूल गए, फिर देखें इसका परिणाम, शीत युद्ध का हो जाता ऐलान।।😲 शादी का कार्ड....... यह जिसको नहीं मिला  उस की घटती शान, मनमुटाव को मन में ठान, शिकायतों की खुले दुकान, हे भगवान हे भगवान !!🤔 मान ना मान ऐसे मेहमान।। शादी का कार्ड......🙏 By-Dr.Anshul Saxena

तस्वीरें- नयी पुरानी ( Tasveeren Nayi Purani)

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                           पहले की तस्वीरों में एक याद हुआ करती थी, दिल-अज़ीज़ लम्हों की कुछ बात हुआ करती थी, कुछ यादों के बक्सों जैसी बार-बार खुलती थी, कुछ किताब में छिपी हुई एक राज़ हुआ करती थी।। कुछ इकट्ठे एक जगह अलमारी में रहती थी, जब खुलती थी बिन बोले ही बोल उठा करती थी, हम खुद को कम और औरों को उनमें ढूंढा करते थे, धुंधली हो या धूमिल सी, बेमोल हुआ करती थी।। मानो जैसे कोई खजाना संजो संजो कर रहती थी, बार-बार तो मुश्किल थी सोच-समझकर खिंचती थी, कुछ खुशियों की लहरों जैसी दिल छुआ करती थी, कुछ बन जाती कोई कहानी कुछ खास हुआ करती थी।। अब तो हर घंटों में तस्वीर खिंचा करती हैं, यादें हों या ना हों पर तस्वीर हुआ करती हैं, एक पोज़ के ढ़ेरों पोज़ सेल्फी में मिलते हैं, मेमोरी फुल होने पर डिलीट हुआ करती हैं।। जल्दी-जल्दी क्लिक होते ही शेयर हुआ करती है डीपी और  प्रोफाइल में बार-बार ये डलती है नया ज़माना नई तस्वीर वक़्त के साथ ही ढ़लती है पल में अच्छी लगती है पल पल में बदलती है।। By-Dr.Anshul Saxena