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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

तस्वीरें- नयी पुरानी ( Tasveeren Nayi Purani)


                          

Hindi poem Tasveeren- Nayi Purani, Hindi kavita about the difference between old and new photographs @expressionshub.co.in


पहले की तस्वीरों में एक याद हुआ करती थी,
दिल-अज़ीज़ लम्हों की कुछ बात हुआ करती थी,
कुछ यादों के बक्सों जैसी बार-बार खुलती थी,
कुछ किताब में छिपी हुई एक राज़ हुआ करती थी।।

कुछ इकट्ठे एक जगह अलमारी में रहती थी,
जब खुलती थी बिन बोले ही बोल उठा करती थी,
हम खुद को कम और औरों को उनमें ढूंढा करते थे,
धुंधली हो या धूमिल सी, बेमोल हुआ करती थी।।


मानो जैसे कोई खजाना संजो संजो कर रहती थी,
बार-बार तो मुश्किल थी सोच-समझकर खिंचती थी,
कुछ खुशियों की लहरों जैसी दिल छुआ करती थी,
कुछ बन जाती कोई कहानी कुछ खास हुआ करती थी।।

अब तो हर घंटों में तस्वीर खिंचा करती हैं,
यादें हों या ना हों पर तस्वीर हुआ करती हैं,
एक पोज़ के ढ़ेरों पोज़ सेल्फी में मिलते हैं,
मेमोरी फुल होने पर डिलीट हुआ करती हैं।।

जल्दी-जल्दी क्लिक होते ही शेयर हुआ करती है
डीपी और  प्रोफाइल में बार-बार ये डलती है
नया ज़माना नई तस्वीर वक़्त के साथ ही ढ़लती है
पल में अच्छी लगती है पल पल में बदलती है।।

By-Dr.Anshul Saxena 






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