तस्वीरें- नयी पुरानी ( Tasveeren Nayi Purani)
पहले की तस्वीरों में एक याद हुआ करती थी,
दिल-अज़ीज़ लम्हों की कुछ बात हुआ करती थी,
कुछ यादों के बक्सों जैसी बार-बार खुलती थी,
कुछ किताब में छिपी हुई एक राज़ हुआ करती थी।।
कुछ इकट्ठे एक जगह अलमारी में रहती थी,
जब खुलती थी बिन बोले ही बोल उठा करती थी,
हम खुद को कम और औरों को उनमें ढूंढा करते थे,
धुंधली हो या धूमिल सी, बेमोल हुआ करती थी।।
मानो जैसे कोई खजाना संजो संजो कर रहती थी,
बार-बार तो मुश्किल थी सोच-समझकर खिंचती थी,
कुछ खुशियों की लहरों जैसी दिल छुआ करती थी,
कुछ बन जाती कोई कहानी कुछ खास हुआ करती थी।।
अब तो हर घंटों में तस्वीर खिंचा करती हैं,
यादें हों या ना हों पर तस्वीर हुआ करती हैं,
एक पोज़ के ढ़ेरों पोज़ सेल्फी में मिलते हैं,
मेमोरी फुल होने पर डिलीट हुआ करती हैं।।
जल्दी-जल्दी क्लिक होते ही शेयर हुआ करती है
डीपी और प्रोफाइल में बार-बार ये डलती है
नया ज़माना नई तस्वीर वक़्त के साथ ही ढ़लती है
पल में अच्छी लगती है पल पल में बदलती है।।
By-Dr.Anshul Saxena
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