सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)
हर किसी से बात करने का सलीक़ा और तरीक़ा अलग अलग होता है।
कुछ लोग आपके बिना कहे ही सब कुछ सुन लेते हैं और कुछ लोग आपके बार बार कहने पर भी आपकी बात को सुनना नहीं चाहते। आपकी तहज़ीब और अदब को लोग अपनी मनमानी करने के लिए ग्रीन सिगनल की तरह लेते हैं।
ऐसे में आपको अपने कहने का तरीका और सलीका दोनों ही बदलने पड़ते हैं।
तुम्हें बस कितना कहूंगी कि
तुम जो भी कहते हो
तहज़ीब में रहते हो
सुनने वाले बड़ा ग़ौर से सुनते हैं
खामोशी तोड़ो
तहज़ीब छोड़ो
बहरे ज़रा ज़ोर से सुनते हैं।
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