फर्क़ - मर्द और औरत का
फर्क़ मर्द और औरत का आधुनिक युग में बहुत से लोग कहते हैं कि एक मर्द और औरत में कोई फर्क नहीं होता और वह तो कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। क्या वास्तव में ऐसा संभव हो सका है? बहुत से क्षेत्र में नारी ने पुरुष के साथ कन्धे से कंधा मिलाया है लेकिन यथार्थ के धरातल पर या यूँ कहें वास्तविक जीवन में बहुत सी ऐसी नारियां है जो जीवन में बहुत कुछ करना चाहती हैं लेकिन कभी परिस्थितियों वश, कभी कर्तव्यनिष्ठा या कभी अपनी जिम्मेदारियां की वजह से वे वह नहीं कर पाती जो वे कर सकती हैं। अपना नाम, पहचान, घर-परिवार सब को छोड़ने के बाद भी अंतत: कई बार नारी को अपने सपने भी अपनों के लिए छोड़ने पड़ जाते हैं। तो बस इसी संदर्भ में यहां मैंने कुछ अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। बचपन में सपनों को उड़ान मिलती है अपनों से अपनेपन की मुस्कान मिलती है यहाँ दूसरे घर की वहाँ पराई रहती है छिन जाता है वो नाम जो पहचान मिलती है बड़े होते-होते उसके पंख कट जाते हैं। कभी गृहस्थी तो कभी जिम्मेदारी में बँट जाते हैं उसे तो अपनी जिंदगी जीने का भी हक नहीं है और कहते हो कि मर्द और औरत...