सावन (Saawan)

 


                        सावन 


Hindi kavita Saawan @expressionshub.co.in



भीगी सी रुत में वो सावन बरसना।
मतवाली हो फिर धरा का महकना।।
तृप्ति दे तपती धरा की तपन को,
वो ठंडी पवन और मेघों का गरजना।।

वो बारिश की बूंदों का मिट्टी पर पड़ना ,
वह सोंधी सी खुशबू का हौले से उड़ना,
कोयल और मैना का खिल के चहकना,
पत्तों के झुरमुट में उड़ के सिमटना,
भीगी सी रुत में वो सावन बरसना।
मतवाली हो फिर धरा का महकना।।

वो सतरंगी रंगों का नभ में निखरना,
अनुपम छटा का धरा पर बिखरना,
काली घटा का घुमड़ कर बरसना,
तृप्ति ले बिसरा दे चातक तरसना।।
भीगी सी रुत में वो सावन बरसना।
मतवाली हो फिर धरा का महकना।।

वो नन्हे से बीजों में कोपल का फटना,
वह बूंदों से जल में तरंगों का उठना,
वो प्रेमी के दिल में उमंगें उभरना,
मनमोहक मयूरा को भाये थिरकना।।
भीगी सी रुत में वो सावन बरसना।
मतवाली हो फिर धरा का महकना।।


Comments

Popular Posts

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

गृहणी (Grahani)

बेटियाँ (Betiyan)

होली है (Holi Hai)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

तानाशाही (Tanashahi)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

अभिलाषा: एक बेटी की

सम्मान- रिश्तों का(Samman Rishton Ka)

सुकून (Sukoon)