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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

सुकून (Sukoon)

                          सुकून


सुकून एक वह अनमोल खजाना है जो किसी को मिल जाए तो उसके आगे चांदी सोना रुपये पैसे का भी कोई मोल नहीं क्योंकि सुकून को पा सकते हैं खो सकते हैं लेकिन खरीद नहीं सकते।

कितनों का यही दर्द

कितनों का यही ग़म।

ढूंढे जिसे ज़माना

मिलता है ज़रा कम।

हंसना यहीं रोना यहीं,

पाना यहीं खोना यहीं,

ना चांदी जहाँ सोना नहीं।

दिल का सुकून होना वहीं।।

आज उम्र के इस पड़ाव पर हम सभी की जिंदगी चक्की की तरह चलती है। जहां हमें सुकून ढूंढना पड़ता है और जब यह मिलता है तब वह किसी खजाने से कम नहीं लगता।

एक ज़माना था जब यह हमेशा ही हमारे पास रहता था।

जब दिल में उमंग थी

कुछ पाना जुनून था

बचपन के थे वो दिन

जब दिल का सुकून था।

अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगी



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