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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

आत्महत्या (Atm-hatya)

       आत्महत्या

Hindi kavita Atm-htya

 

 नमस्कार!🙏

आज की है पोस्ट उन सभी बच्चों और युवाओं के लिए है जो अपने अनमोल जीवन के महत्व को नहीं समझते। जो छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाते हैं टूट जाते हैं। जिन्होंने जीवन में अभी संघर्ष आरंभ भी नहीं किया होता वो इतनी जल्दी हार जाते हैं अपना जीवन समाप्त करने की चेष्टा करते हैं।


प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि जीवन ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है जिसे हमें सहेज कर रखना चाहिए। हमारा जीवन एक बार इस संसार में आने के बाद सिर्फ हमारा नहीं होता। हमारा जीवन हम सब से जुड़े हुए व्यक्तियों से जुड़ा हुआ होता है। आपके जीवन का महत्व आप के साथ साथ आप से जुड़े व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। संसार में भले ही हर व्यक्ति अकेले आता है और अकेले जाता है लेकिन समाज में हम सभी एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। हम सभी के लिए इन रिश्तों का बंधन हमारे जीवन का आधार बन जाता है। तो उस जीवन पर केवल अपना अधिकार समझते हुए आजकल के बच्चे और युवा अपने हाथों से उसे समाप्त करने की चेष्टा क्यों करते हैं?


आज आप सभी से मेरा अनुरोध है कि अपने जीवन के महत्व को समझिए। अपने जीवन में अपने अपनों का महत्व समझिए। जिन मां बाप ने आप को जन्म दिया है, उनके महत्व को समझिए।

आपका जीवन हंसने खेलने के लिए है। ऐसी कोई समस्या नहीं होती जिसका कोई समाधान ना हो । जीवन में हर समस्या अपना समाधान लेकर आती है। अपनी समस्या के बारे में अपने परिवार में या अपने किसी भरोसेमंद इंसान के साथ बातचीत कीजिए। समस्या का हल ढूंढिए। अपने जीवन को समाप्त करना किसी समस्या का हल नहीं होता।

जीवन जीने के लिए है कृपया से भरपूर जिओ।


प्रस्तुत पंक्तियां ऐसे युवा के लिए है जिसने अभी जीना आरम्भ ही किया था.. युवावस्था में अपना कदम ही रखा था कि अचानक से उसने अपने जीवन को समाप्त कर लिया और पीछे छोड़ दिया अपने माता पिता को उसकी यादों में बिलखता हुआ।



जब जीत गया था जग सारा
फिर अंतर्मन से क्यों हारा?
तेरे भी कितने अपने थे
उनके और तेरे सपने थे
तू टूट गया और छोड़ गया
जिन आंखों का था तू तारा।।


क्यूँ क्षीण से क्षण में टूट गया,
अपने जीवन से रूठ गया,
 मां बहन बिलखती रोती है,
आहें भरती ना सोती है,
टूट गई उन की आशा,
बस आंखों में पानी खारा।।


जीवन में सुख दुख आता है,
कुछ उलझा तो सुलझाता है,
तू रुक जाता सब बच जाता,
जो तुझे दुआ में जीते थे,
जीते जी उनको क्यों मारा?


जब जीत गया था जग सारा
फिर अंतर्मन से क्यों हारा?

Comments

  1. बेहद भावुक कर देने वाली कविता����

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  2. The poem quite vividly describes the disappointment and the 'aftermath' of suicide. Although it picturesquely captures the sorrow, with immediate cause and context of this work of yours known, it is difficult to praise it.

    I am sure, we both wish that this poem shouldn't have come up.

    Despite of all life being equally valuable, loss of a younger being somehow particularly becomes a harbinger of complete loss of a hopeful future—more so for the immediate family.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Completely agree.👍That's all about the writers who know to depict their emotions on the piece of paper..that takes the form of a literary genre..but undoubtedly that's just something by the heart to the hearts of the readers...well...it depends on the reader to reader too.
      Where logics fail..emotions flow..just a way to express.

      Delete
  3. हृदयस्पर्शी कविता

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार🙏

      Delete

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