क़ाश (Kaash)
क़ाश
हर इंसान की अपने जीवन में कोई ना कोई ख़्वाहिश होती है कोई ना कोई सपना होता है या कुछ पाने की आरज़ू होती है। वो सपने ख्वाहिशें या आरज़ू- कुछ पूरी होती है और कुछ हमेशा के लिए अधूरी रह जाती हैं।
मुट्ठी भर लोग ही शायद ऐसे होंगे जिन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें जीवन में सब कुछ मिला है और उनका कोई सपना अधूरा नहीं रहा।हम में से ज्यादातर लोग जीवन की भागा दौड़ी में आगे बढ़ते रहते हैं और अक्सर पीछे छूट जाते हैं हमारे कुछ अधूरे सपने कुछ अधूरी ख्वाहिशें कुछ अधूरी आरज़ू और साथ में रह जाता है काश।
कभी-कभी सही समय पर सही निर्णय ना लेना या निर्णय लेने के बाद भी यह सोचते रहना कि वह सही था या नहीं?🤔 काश यह किया होता तो ऐसा होता काश वह किया होता तो ऐसा होता।
अक्सर इस तरह के कुछ विचार जीवन में इंसान को दो राहे पर खड़ा कर देते हैं और साथ में रह जाता है काश।
कभी-कभी इंसान जीवन में सबसे अनमोल चीजों की कद्र करना भूल जाता है जो हैं वक्त और अपने रिश्ते। जब दोनों हाथ से निकल जाते हैं तब रह जाता है सिर्फ़ काश।
अक्सर इस तरह के कुछ विचार जीवन में इंसान को दो राहे पर खड़ा कर देते हैं और साथ में रह जाता है काश।
कभी-कभी इंसान जीवन में सबसे अनमोल चीजों की कद्र करना भूल जाता है जो हैं वक्त और अपने रिश्ते। जब दोनों हाथ से निकल जाते हैं तब रह जाता है सिर्फ़ काश।
प्रस्तुत है चार पंक्तियां
काश
कभी ज़ुबाँ तो कभी दिल में एक राज़ रहता है,
छोटी-छोटी ख्वाहिश का मोहताज़ रहता है,
मुमकिन नहीं मुक़म्मल हर बात हो जाए
हर ज़िंदगी में एक अदद काश रहता है।।
छोटी-छोटी ख्वाहिश का मोहताज़ रहता है,
मुमकिन नहीं मुक़म्मल हर बात हो जाए
हर ज़िंदगी में एक अदद काश रहता है।।
By- Dr.Anshul Saxena
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