सफ़र - उम्र का
सफ़र - उम्र का
नमस्कार🙏
परिवर्तन तो संसार का नियम है और बदलते वक्त के साथ उम्र में आया परिवर्तन भी उस ही नियम का हिस्सा है। लेकिन हममें से अधिकांश लोग अधिकतर वक्त के साथ आए उम्र के परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। चाहे वह परिवर्तन खुद का हो या अपनों का हो। परंतु वक्त ही वक्त के साथ हमें इस परिवर्तन के लिए सहज होना सिखा देता है।
यही सहजता परिवर्तन की गरिमा को बढ़ा देती है और जारी रहता है सफर -उम्र का। इस सफर की श्रंखला अगली कविता तक जारी रहेगी।
वक्त की स्याही में जब,
उम्र यह घुल जाएगी,
कुछ तजुर्बों की लकीरें,
चेहरे पे भी ले आएगी।
दिन तो कब का ढल चुका
यह शाम भी ढल जाएगी
चांद यौवन का ढलेगा
चांदनी रह जाएगी।।
Comments