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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

बिकाऊ रिश्ते (Bikau Rishte)

 बिकाऊ रिश्ते

Hindi kavita Bikau Rishte हिंदी कविता बिकाऊ रिश्ते @expressionshub.co.in

 

आज का ज़माना पहले से कुछ अलग है। महंगाई के इस दौर में हर चीज महंगी बिकती है। इस सूची में रिश्ते भी शामिल हैं। जितना महंगा रिश्ता उतनी मेहमान नवाज़ी। 

पहले ज़माने में सुविधाएं भले ही कम थी लेकिन रिश्तों में ठहराव और गहराई होती थी। मिलना जुलना औपचारिक नहीं होता था। त्योहारों में खोखला पन नहीं था। पहले सामने झगड़े होते थे लेकिन मनमुटाव क्षणिक होता था। दिलों की मिठास कम नहीं होती थी। अब दिलों की खटास दिखावे की चाशनी में परोसी जाती है।

कह सकते हैं कि 

दिल में अब नमी नहीं है 

पर दिखावे में कमी नहीं है।

जिसको यह बात अभी तक समझ ना आई हो तो नासमझ होना ही बेहतर है।

नासमझी ही बेहतर है ना होना समझदार 

समझ गए तो समझोगे रिश्तों का व्यापार

Bikau rishte @expressions hub


आज के समय में महाकवि तुलसीदास जी का कथन हमेशा याद रखना चाहिए

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह। 

तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।


जिस समूह में शिरकत होने से वहां के लोग आपसे खुश नहीं होते और वहां लोगों की नजरों में आपके लिए प्रेम या स्नेह नहीं है, तो ऐसे स्थान या समूह
में हमें कभी शिरकत नहीं करना चाहिए, भले ही वहां स्वर्ण बरस रहा हो।

इन्हीं सब विचारों को कुछ पंक्तियों में कहने का प्रयास किया है। आप सब भी अपने अनुभव कमेंट बॉक्स साझा करें।🙏




अब बिक रहे रिश्ते खुलेने लगी दुकान,

हो तोल मोल कर मेहमान का सम्मान,

है चाशनी लिपटी फ़ीके मगर पकवान,

झूठा दिखावा है झूठी दिखाएं शान।।

सुनते ही नहीं ये आपकी अपनी ही हाँकते,

काम पड़ जाए तो बगलें ये झांकते,

बस दूर से ही साथ हैं फ़ीकी लिए मुस्कान,

अब बिक रहे रिश्ते खुलने लगी दुकान।

अब बिक रहे रिश्ते खुलने लगी दुकान।।

Comments

  1. Wah! रिश्तो की सच्चाई बहुत अच्छे से व्यक्त की है

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  2. Bitter truth.... it's a result of growing materliasm n lack of values. But ... well composed 👌👌

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