ऐ ज़िंदगी (E Zindgi)

      E Zindgi




ऐ ज़िदगी ऐसे ना सताया कर
जिन आंखों में हो सपने
वहां थोड़ा ठहर जाया कर
छोटा तेरा सफ़र औदा बड़ा मगर
तेरी अहमियत जीते जी बताया कर।।

मायूसी उदासी दरक़़िनार कर,
कभी बेवजह भी मुस्कुराया कर,
कभी चेहरे पे चेहरा लगाया कर,
एहतियात बरत सौदागरों से,
राज़- ए-दिल सब को ना बताया कर।।
Dr. Anshul Saxena

Comments

Popular Posts

गृहणी (Grahani)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

बेटियाँ (Betiyan)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

सुकून (Sukoon)

तानाशाही (Tanashahi)

होली है (Holi Hai)

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)

अभिलाषा: एक बेटी की

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)