ये उन दिनों की बात है





ये उन दिनों की बात है,
जब हम छोटे बच्चे थे,
उम्र में थोड़े कच्चे थे,
पर दिल के बेहद सच्चे थे।।

ये उन दिनों की बात है
रिश्तो में था अपनापन,
सबका एक ही था आंगन,
मिलजुल कर सब रहते थे,
सुख-दुख सब मिल सहते थे।।

ये उन दिनों की बात है
अपनों के अपने सब थे,
मां-बाबा में रब थे,
परिवारों के मतलब थे,
मिलना जुलना कम हो चाहे,
दिल के बंधन पक्के थे।।
ये उन दिनों की बात है...

आज की बात
जैसे दिन और रात
जिससे मतलब उसका साथ
पैसे के बिन सब है फीका
माथा देखके होता टीका
चलते नोट काम के रिश्ते
बिना काम के खोटे सिक्के
फोन में दोस्तों का मेला है
फिर भी इंसान अकेला है
भागदौड़ सब हो गए व्यस्त
अपनों के लिए नहीं है वक्त
सच्चा रंग पुराना है
दिखावे का ज़माना है
आज की बात निराली बात
इसमें नहीं उन दोनों की बात।
By: Dr. ANSHUL SAXENA 

Comments

Popular Posts

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

गृहणी (Grahani)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

बेटियाँ (Betiyan)

तानाशाही (Tanashahi)

होली है (Holi Hai)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

अभिलाषा: एक बेटी की

सुकून (Sukoon)

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)