दीवाने (Deewane)

दीवाने (Deewane)

कुछ दीवानों को क्यों यकीं नहीं होता,
कहते हैं अब कोई इतना हंसी नहीं होता।

जुल्फों में जिसकी सावन की घटा हो,
लंबा सा पल्लू काँधे से सटा हो,
जो उठा दे निगाहें तो दिल धड़क जाए,
छूले ज़रा सा तो शोले दहक जाएं,
पहले जो होता था क्यों अब नहीं होता?


इन आशिक़ दीवानों को कोई तो समझाए,

आते जाते नारी से ये नजरें हटाएं।।
नज़ाकत भी है शोखी भी है जैसे कोई ग़ज़ल,
कुछ नज़र का फ़ेर है कुछ समय गया बदल,
समय बदल गया नारी गई बदल
तुम भी बदल जाओ और जाओ अब संभल,
दिल को संभालो ज़रा ना जाए ये फ़िसल
मिल जाएगा सबक अगर तुम गए मचल।


हां, अब तक जो होता आया वह अब नहीं होता।
पर ऐसा नहीं कि अब कोई हंसी नहीं होता।।
Hindi poem Deewane @www.expressionshub.co.in


Comments

Pallaviii said…
Bahut sahi likha hai anshul 👍👏
Unknown said…
bahut acha likha hai,,

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