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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

दीवाने (Deewane)

दीवाने (Deewane)

कुछ दीवानों को क्यों यकीं नहीं होता,
कहते हैं अब कोई इतना हंसी नहीं होता।

जुल्फों में जिसकी सावन की घटा हो,
लंबा सा पल्लू काँधे से सटा हो,
जो उठा दे निगाहें तो दिल धड़क जाए,
छूले ज़रा सा तो शोले दहक जाएं,
पहले जो होता था क्यों अब नहीं होता?


इन आशिक़ दीवानों को कोई तो समझाए,

आते जाते नारी से ये नजरें हटाएं।।
नज़ाकत भी है शोखी भी है जैसे कोई ग़ज़ल,
कुछ नज़र का फ़ेर है कुछ समय गया बदल,
समय बदल गया नारी गई बदल
तुम भी बदल जाओ और जाओ अब संभल,
दिल को संभालो ज़रा ना जाए ये फ़िसल
मिल जाएगा सबक अगर तुम गए मचल।


हां, अब तक जो होता आया वह अब नहीं होता।
पर ऐसा नहीं कि अब कोई हंसी नहीं होता।।
Hindi poem Deewane @www.expressionshub.co.in


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