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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

खुदगर्ज़ (Khudgarz)

   Khudgarz

कर सोच समझकर हाल-ए-दिल बयां,

सौदा करेगा फ़िर तेरे दर्द का जहाँ,

पीठ चढ़ तेरी जो कद तेरा पूछें,

उम्मीद क्या उनसे खुदग़र्ज़ हों जहां।।
Hindi Shayari about selfish people@expressionshub.co.in



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