खुदगर्ज़ (Khudgarz)

   Khudgarz

कर सोच समझकर हाल-ए-दिल बयां,

सौदा करेगा फ़िर तेरे दर्द का जहाँ,

पीठ चढ़ तेरी जो कद तेरा पूछें,

उम्मीद क्या उनसे खुदग़र्ज़ हों जहां।।
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