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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

माँ-बाप (Maa-Baap)

              माँ-बाप

Hindi poem about maa-baap, old people's condition




माँ-बाप जिन्हें चलना बोलना सिखाते हैं,

क्यों बड़े हो बच्चे उन से ही बड़े हो जाते हैं?

जो निःस्वार्थ त्याग कर इनका जीवन बनाते हैं 

क्यों उन की परवरिश पर बच्चे सवाल उठाते हैं?

जब हम गिर जाते थे, 
यही हमें उठाते थे।
जब हम रुक जाते थे,
यही हमें बढ़ाते थे।

बच्चों का यह कहना दिल छलनी कर जाता है,
अरे, आपको उठना बैठना भी नहीं आता है।
जो बच्चों पे अपना जीवन लुटाते हैं
लेते नहीं कुछ बस दुआएं दे जाते हैं
उनकी सेवा से बच्चे क्यों हिचकिचाते हैं?
उनके जीवन कैसे निजी हो जाते हैं?

वो कभी नहीं थके,
ताकि हम हँस सकें।
वो कभी नहीं रुके,
ताकि हम बढ़ सकें।

उनका दिल बार-बार तार-तार हो जाता है,
जब बच्चे कहें आपको इतना भी नहीं आता है।
माँ-बाप का किया तो फ़र्ज बताते हैं,
जो खुद करें उसे बार-बार जताते हैं।
सब कुछ लुटा के जो बच्चों को बनाते हैं,
क्यों वो ही दर-दर की ठोकरें खाते हैं?

संभल जाओ लाडलों वक़्त है अभी,
एक बार जो गए फिर ना आएंगे कभी,
तब तुम समझोगे जुदाई क्या है?
पूछते हो आपने किया ही क्या है?

माँ-बाप  का कर्ज़ कभी चुका ना सकोगे,
असम्मान कर कहीं मान पा ना सकोगे,
दौलत और शोहरत कितनी भी कमा लो,
कड़वा लगे भले यह भुला ना सकोगे,
माँ-बाप ही हमारी सच्ची दौलत हैं।
आज हम जो भी हैं उन्हीं की बदौलत हैं।।
Dr.Anshul Saxena 

Comments

  1. वाह अति उत्तम!

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  2. बहुत उम्दा रचना। सटीक कटाक्ष।

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  3. बहुत उम्दा रचना। सटीक कटाक्ष।

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  4. Bahut sundar rachna likhi hai aapne. Wah

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