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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

हिन्दी (Hindi Bhasha)

हिन्दी (Hindi Bhasha)

हिंदी दिवस पर हिंदी कविता हिंदी




हिंदी मेरी मातृभाषा,
हिंदुत्व का सम्मान,

अपनाएंगे जब मिल सारे
रख पाएंगे इसका मान।।


भाषा में आभूषण हिंदी,
जैसे भारत माँ की बिंदी,
हिंदी है अभिमान देश का,
हिंदी से ही देश का मान।।


बन प्रहरी यह प्रण लो सारे,
हिंदी झुके ना हिंदी हारे,
हिंदी से ही देश की रक्षा,
हिंदी सुरक्षा कवच समान,
आन बान देश की शान,
हिंदी है तो हिंदुस्तान।।

By:-Dr.Anshul Saxena

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