आजकल हर शख़्स व्यस्त है?
आज कल हर शख़्स व्यस्त है,
कोई हकीक़त में तो कोई यूं ही व्यस्त है,
कोई व्यस्तता में तो कोई मस्ती में मस्त है,
कहीं मजबूरी तो कहीं ज़िम्मेदारी की गिरफ़्त है।
आज कल हर शख़्स व्यस्त है।
कौन कितना और कहां व्यस्त है?
कि वक़्त पर वक़्त देने का नहीं वक़्त है,
झूठे दिखावों पे रिश्तों की शिक़स्त है,
आज कल हर शख़्स व्यस्त है।
कोई बहुत करके भी कुछ और करने में व्यस्त है,
कोई बेवजह वजह ढूंढने में व्यस्त है,
कोई वक़्त की सुईओं का सलीक़े से अभ्यस्त है,
कोई बेपरवाह सा मौज में अस्त व्यस्त है,
आज कल हर शख़्स व्यस्त है।
आज कल हर शख़्स व्यस्त है।
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तुमको याद किये बिन जीने का अभ्यस्त नहीं हो पाया।