नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)
एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena
शिक्षक दिवस पर अति उत्तम रचना लिखी है,आपको बहुत बहुत बधाइयां।
ReplyDeleteThanks a lot
Deleteशिक्षक दिवस पर अति उत्तम रचना लिखी है,आपको बहुत बहुत बधाइयां।
ReplyDelete👍👍👍
DeleteNice discription of actual teaching and today's environment of school... Happy teacher's day
ReplyDeleteThanks a lot
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