अंतराल- पीढ़ियों का
मध्य का अंतराल,
ये मिटेगा या बढ़ेगा,
ये है बड़ा सवाल।
आधुनिक तकनीक और
रोटी की भागदौड़,
इक कश्मकश करती विवश,
ऐसा ये मकड़जाल।
क्या करें कैसे करें
इस सोच से बेहाल,
अपेक्षा और तर्क का,
फैला हुआ जंजाल।
नई पुरानी सोच की
कैसे मिलाएं ताल,
हम तुम्हें संभाल लें
तुम लो हमें संभाल।
जब संग चलें तब ही चले,
जीवन की कदमताल,
हम तुम्हारा हैं सहारा,
तुम हो हमारी ढ़ाल।।
By: Dr.Anshul Saxena

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