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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

होली की बोली (Holi ki Boli)

Holi ki Boli

https://www.expressionshub.co.in/2019/03/holi-ki-boli.html


होली बोले
कितनी बोली,
रंगो की पुड़िया
जब रिश्तो में घोली,


कहीं प्यार बड़े
जब रंग चढ़े,
कहीं भीगी भीगी
हंसी ठिठोली।


कहीं उमंग के ढोल
कहीं मस्ती की टोली
कहीं मिलन-उत्सव 
कहीं आनंद भरी झोली


गुजिया भी बोले
ममता की बोली
आसमां में सजती
रंगो की रंगोली।


चंदन की खुशबू में
लिपटा गुलाल,
कोई होता मतवाला
तो कोई होता लाल,

कोई किसी का हो गया
कोई किसी की हो ली,
कोई बुरा ना मानो
ये होली है होली।।

Dr.Anshul Saxena 







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