जगजननी नारी (Jag Janani Naari)

जगजननी नारी 

Hindu kavita Jagjanani Naari about woman's power @expressionshub.co.in


अंदर से मजबूत बड़ी है,
ऊपर से कोमल लगती है।
वीरों की जननी है जो,
जिगरों का जिगरा रखती है।


एक परिवार में जन्म ले ये
दूजे का पालन करती है।
डोली में जाती जिस घर,
अर्थी में बाहर निकलती है।


राखी और ममता इससे,
खुशियों से आंगन भरती है।
त्यौहार की रौनक इससे ही
हर पर्व को पूरा करती है।


सुंदर निर्मल भावुक ऐसी,
नीर नयन में भरती है।
पूजोगे तो दुर्गा ये,
छेड़ा तो काली बनती है।


दीपक की ज्योति इससे ही,
इससे ही पूजा और हवन,
जगजननी नारी शक्ति को,
आभार भरा शत शत नमन।।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Dr.Anshul Saxena 

Comments

Arohi said…
Too good🖒👏👏👏
Nishant said…
Well written and very well expressed!👍👍👍👌👌👏👏

Popular Posts

गृहणी (Grahani)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

सुकून (Sukoon)

तानाशाही (Tanashahi)

बेटियाँ (Betiyan)

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)

अभिलाषा: एक बेटी की

होली है (Holi Hai)

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)