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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

पानी पीने का उचित समय और सही तरीका || Pani peene ka uchit tareeka

जल से ही जीवन




जल हमारे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। कोई भी व्यक्ति एक बार को खाने के बिना रह सकता है परंतु जल के बिना जीवन असंभव है। जिस तरह पृथ्वी का ज्यादातर हिस्सा जल है। ठीक उसी तरह हमारे शरीर का आधे से ज्यादा हिस्सा यानी कि 70% भाग जल से निर्मित होता है। शरीर के हर अंग जल से ही निर्मित होते हैं। चाहे रक्त कोशिकाएं हों, किडनी हों, अथवा हड्डियां ही क्यों ना हो सभी अंगों में जल की कुछ ना कुछ मात्रा उपस्थित रहती है।


हमारे शरीर से पानी किसी ना किसी रूप में चाहे वह पसीना  हो,मल मूत्र अथवा सांस छोड़ने में भाप द्वारा निष्कासित होता रहता है। ऐसे हमारे शरीर को रक्त का संचार व्यवस्थित रखने के लिए पाचन क्रिया सुचारू रूप से चलाने के लिए एवं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जल की बहुत आवश्यकता रहती है। एक सामान्य व्यक्ति को दिन भर में लगभग 2 से 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए लेकिन वे लोग जिनकी दिनचर्या में शारीरिक श्रम की अधिकता रहती है जैसे व्यायाम या दौड़ना य खेलना कूदना जिन की दिनचर्या में शामिल हों उन लोगों को सामान्यतः थोड़े अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

यदि हमारे शरीर में पानी की कमी रहती है यह हम पानी का उचित रूप से सेवन करते हैं तो हमारा शरीर कई समस्याओं से गिर जाता है जब मैं मुख्य रूप से पेट से जुड़ी समस्या रहती हैं। पानी की कमी से शरीर को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मुख्य समस्याएं कब्ज, गैस, एसिडिटी, अल्सर,  पाइल्स, त्वचा पर दाग धब्बे, एक्ने, पिंपल्स, रूखी त्वचा आदि होती हैं।


पानी के महत्व के बारे में तो सभी लोगों को पता होता है लेकिन पानी पीने का उचित समय और सही तरीके के बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं होती तो आज आपको पानी पीने का उचित समय और सही तरीके के बारे में जानकारी मिलेगी इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें।

●जब भी आप अपनी दिनचर्या आरंभ करते हैं तो सुबह उठते ही बासी मुँह बिना ब्रश किए कम से कम 2 ग्लास पानी पीयें। रात्रि में जो हम सोते हैं तो हमारी शरीर के सभी अंगों की क्रियायें शिथिल हो जाते हैं लेकिन हमारी लार ग्रंथियां सक्रिय रहती हैं। रात भर जो लाल आपके मुख में एकत्रित होती है सुबह उठते ही उस उस लार के साथ पानी को पियें यानी कि वह लार भी पानी के साथ आपके शरीर के अंदर जानी चाहिए।सुबह सुबह जो लार आपके मुंह में रहती है उसमें बहुत से औषधीय गुण होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि जीव जंतु आदि अपनी लार से ही अपने या अन्य जानवरों के घाव या चोट को चाट कर ठीक कर लेते हैं। ठीक उसी तरह हमारी मुख में उपस्थित सुबह की लार में भी बहुत से गुण होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है। यह सुनिश्चित करें कि जब भी आप सुबह उठ कर पानी पिएँ अपनी लार को भी पानी के साथ निगल लें। 


आयुर्वेद में बासी मुंह पानी पीने को उषा पान कहा जाता है। उषा पान स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी होता है लेकिन जिन लोगों को दातों में कोई समस्या हो रोग हो दातों में सड़न हो या फिर मुंह में किसी प्रकार की कोई समस्या हो या जो लोग गुटखा आदि खाते हो उन लोगों को उषा पान नहीं करना चाहिए।

● खाना अथवा नाश्ता करने की लगभग 40 से 45 मिनट पहले ही पानी पिए कुछ भी खाने के तुरंत पहले पानी ना पिए यदि आप 40 से 45 मिनट पहले पानी पीते हैं तो आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म सक्रिय हो जाता है और इससे आपका पाचन सुचारू रूप से होता रहता है।

● नाश्ते या खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। नाश्ता अथवा भोजन के उपरांत कम से कम 45 मिनट का अंतराल रखना चाहिए। उसके पश्चात ही पानी पीना चाहिए। जब भी हम खाना खाते हैं तो वह सीधा हमारे अमाशय में पहुंचता है जहां हमारे भोजन का पाचन वहाँ उपस्थित पाचक रसों की क्रियाओं से होने वाली गर्मी से होता है जिस गर्मी में हमारे भोजन का पाचन होता है उसे अग्नि कहते हैं और अमाशय को जठर कहते हैं। यदि हम भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन करते हैं तो यह अमाशय में उपस्थित जठराग्नि को प्रभावित करता है और हमारा खाना पचने की बजाए पानी में डूबा रह जाता है और जिससे यह पूरी तरह ना पचने के कारण सड़ने लगता है। हमारे आमाशय में भोजन ठीक से ना पचने के कारण अम्ल की वजह से गैस एसिडिटी या कब्ज की समस्याएं होती हैं। इन्हीं समस्याओं से अन्य और भी समस्याएं शरीर में अपनी जगह बनाने लगते हैं जैसे चक्कर आना या सिर में, आंख में या किसी भी अंग में दर्द उठना, उल्टी आना त्वचा से संबंधित समस्याएं हो जाना और कब्ज की समस्या गंभीर हो जाने पर अल्सर हो जाना या फिर पाइल्स की समस्या हो जाना। 

स्वास्थ्य संबंधित ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सबसे सरल उपाय है कि आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी का सेवन ना करें क्योंकि खाना खाने के बाद खाने को पचाने में लगभग 1 से डेढ़ घंटा लग जाता है।


● पानी पीने के मुख्य नियमों में से एक नियम यह भी है कि खाने के तुरंत पहले और खाने के साथ-साथ और खाने के तुरंत बाद पानी कभी भी नहीं पीना चाहिए ऐसा करने से शरीर की पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है।


● सदैव बरफ का पानी अथवा अधिक ठंडा पानी पीने से बचे। बर्फ का पानी पीने से हमारे शरीर की दुगनी ऊर्जा खर्च हो जाती है। बर्फ का पानी जो हमारे पेट में पहुंचता है उसको शरीर के अनुसार सामान्य तापमान में लाने में और खाने के साथ-साथ पानी को पचाने में हमारे शरीर के पाचन तंत्र को दुगनी मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह से हमारे शरीर के पाचन क्रिया पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।



● यदि बेहद ठंडे पानी की बजाए आप गुनगुने पानी का सेवन करते हैं तो वह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसके अलावा गुनगुना पानी साइनस, सर्दी,जुकाम कफ या पित्त की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है लेकिन जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर या एसिडिटी की समस्या हो उनको गुनगुना या गर्म पानी पीने से बचना चाहिए।

● जब भी पानी का सेवन करें ध्यान रखें कि आप पानी सदैव बैठकर ही पिएं। पानी का सेवन कभी भी खड़े होकर नहीं करना चाहिए। चाहे आप घर में हो या घर के बाहर, पानी पीने से पहले कोई स्थान ग्रहण करें और बैठने के बाद ही पानी का सेवन करें। यदि हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पानी सीधा हमारी अमाशय में गिरता है जिससे आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में वात उत्पन्न होता है और यह हमारे शरीर के तरल पदार्थों की व्यवस्था को प्रभावित करता है। इसकी वजह से शरीर में जोड़ों के दर्द अथवा गठिया जैसी समस्याएं हो जाती हैं जिनका इलाज बहुत ही मुश्किल हो जाता है। तो ऐसी समस्याओं से बचने के लिए सदैव बैठकर ही पानी का सेवन करना चाहिए।


● पानी पीने के मुख्य नियमों में एक नियम है भी है कि पानी कभी भी एक साथ गटक कर नहीं पीना चाहिए बल्कि पानी सदैव घूँट घूँट कर के धीरे-धीरे पीना चाहिए जिससे कि आप के मुख में बनने वाली लार धीरे धीरे पानी की घूंट के साथ आपके शरीर में पहुंचती रहे।जैसा कि मैंने पहले बताया की लार में औषधीय गुण होते हैं तो यदि लार पानी के साथ आपके शरीर में पहुंचती है तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होती है।



 मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप अपने शरीर और स्वास्थ्य के अनुसार ही पानी का सेवन करें। पानी का सेवन ना ही आवश्यकता से अधिक करना चाहिए और ना ही आवश्यकता से कम। हर व्यक्ति के शरीर की आवश्यकताएं उसकी दिनचर्या और स्वास्थ्य के अनुसार अलग-अलग होती हैं। इन नियमों का पालन अपने शरीर और स्वास्थ्य के अनुसार ही करें। 

इन सभी पानी पीने के सही तरीके और उचित समय के बारे में और अच्छे से जाने के लिए नीचे दी हुई वीडियो को एक बार अवश्य देखें।




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