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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

नारी ना हारी ( Naari Na Haari)

Hindi kavita Naari Na Haari @https://www.expressionshub.co.in


जिसके बिना जन जीवन अधूरा,

वो जीवन से पहले ही कब तक मरेगी?

उस युग की सीता की अग्नि परीक्षा,

इस युग की सीता ही कब तक करेगी?


कन्या और देवी का करते हो पूजन,

वह कन्या और देवी ही कब तक घुटेगी?

साहसी विदुषी जब एकाकी असुरक्षित,

नियमों के बंधन में कब तक बंटेगी?
Hindi poem naari na haari @https://www.expressionshub.co.in

मर्यादा में रहकर मर्यादा उल्लंघन,
अब तक सहा है कब तक सहेगी?
निर्भीक असहाय द्रोपदी दामिनी,
समाज की पीड़ा में कब तक रहेगी?


सुंदर सुयोग्य गुणी सुकन्या,
दहेज की अग्नि में कब तक जलेगी?
पुरुष से कंधा मिलाकर चली है,
अहम के कांटो पर कब तक चलेगी?

पुरुष का वर्चस्व जिसने है जन्मा,
थमी ना कभी,कभी ना थमेगी
सम्मान की अधिकारी नारी ना हारी,
आगे बढ़ी है आगे बढ़ेगी।।

Dr.Anshul Saxena 



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