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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

नारी ना हारी ( Naari Na Haari)

Hindi kavita Naari Na Haari @https://www.expressionshub.co.in


जिसके बिना जन जीवन अधूरा,

वो जीवन से पहले ही कब तक मरेगी?

उस युग की सीता की अग्नि परीक्षा,

इस युग की सीता ही कब तक करेगी?


कन्या और देवी का करते हो पूजन,

वह कन्या और देवी ही कब तक घुटेगी?

साहसी विदुषी जब एकाकी असुरक्षित,

नियमों के बंधन में कब तक बंटेगी?
Hindi poem naari na haari @https://www.expressionshub.co.in

मर्यादा में रहकर मर्यादा उल्लंघन,
अब तक सहा है कब तक सहेगी?
निर्भीक असहाय द्रोपदी दामिनी,
समाज की पीड़ा में कब तक रहेगी?


सुंदर सुयोग्य गुणी सुकन्या,
दहेज की अग्नि में कब तक जलेगी?
पुरुष से कंधा मिलाकर चली है,
अहम के कांटो पर कब तक चलेगी?

पुरुष का वर्चस्व जिसने है जन्मा,
थमी ना कभी,कभी ना थमेगी
सम्मान की अधिकारी नारी ना हारी,
आगे बढ़ी है आगे बढ़ेगी।।

Dr.Anshul Saxena 



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