जगजननी नारी (Jag Janani Naari)
अंदर से मजबूत बड़ी है,
ऊपर से कोमल लगती है।
वीरों की जननी है जो,
जिगरों का जिगरा रखती है।
एक परिवार में जन्म ले ये
दूजे का पालन करती है।
डोली में जाती जिस घर,
अर्थी में बाहर निकलती है।
राखी और ममता इससे,
खुशियों से आंगन भरती है।
त्यौहार की रौनक इससे ही
हर पर्व को पूरा करती है।
सुंदर निर्मल भावुक ऐसी,
नीर नयन में भरती है।
पूजोगे तो दुर्गा ये,
छेड़ा तो काली बनती है।
दीपक की ज्योति इससे ही,
इससे ही पूजा और हवन,
जगजननी नारी शक्ति को,
आभार भरा शत शत नमन।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏Dr.Anshul Saxena

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