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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

हौसला (Housla)

 नमस्कार!

 जीवन का दूसरा नाम एक संघर्ष है  जीवन में  सब कुछ  आसानी से नहीं मिलता। अक्सर  सफलता  संघर्ष के साथ ही आती है। यह पंक्तियां उन लोगों के लिए है जो जीवन में अनेकों चुनौतियों का सामना करते हैं और अनेकों प्रयास करने के बाद भी जिन्हें सफलता नहीं मिलती। जिस तरह आग में जलने के बाद सोना निखरता है उसी तरह से जो व्यक्ति में निरंतर संघर्ष करते रहने से हार नहीं मानता उसे सफलता का मीठा फल जरूर मिलता है। इसलिए बिना हार माने हर व्यक्ति को हौसला रखना चाहिए क्योंकि किसी ने सही कहा है मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत

हौसला (Housla)

जागी हैं ये आंखें 

अभी सोई नहीं है,

देखे थे जो सपने 

यहां वो अब भी पलते हैं।

शोलों पे चलने से 

वो नहीं डरते,

आग की लपटों में जो 

हर रोज़ जलते हैं।।



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