Featured Post
बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena Hindi Kavita- Betiyan
हौसला (Housla)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
नमस्कार!
जीवन का दूसरा नाम एक संघर्ष है जीवन में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता। अक्सर सफलता संघर्ष के साथ ही आती है। यह पंक्तियां उन लोगों के लिए है जो जीवन में अनेकों चुनौतियों का सामना करते हैं और अनेकों प्रयास करने के बाद भी जिन्हें सफलता नहीं मिलती। जिस तरह आग में जलने के बाद सोना निखरता है उसी तरह से जो व्यक्ति में निरंतर संघर्ष करते रहने से हार नहीं मानता उसे सफलता का मीठा फल जरूर मिलता है। इसलिए बिना हार माने हर व्यक्ति को हौसला रखना चाहिए क्योंकि किसी ने सही कहा है मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत।
हौसला (Housla)
जागी हैं ये आंखें
अभी सोई नहीं है,
देखे थे जो सपने
यहां वो अब भी पलते हैं।
शोलों पे चलने से
वो नहीं डरते,
आग की लपटों में जो
हर रोज़ जलते हैं।।
- Get link
- X
- Other Apps
Popular Posts
गृहणी (Grahani)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
गृहणी (Grahani) समाज में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली एक ऐसी स्त्री जो शिक्षित भी है, काबिल भी है, जिसके अपने सपने भी हैं लेकिन उन सब से ऊपर उसके अपने भी हैं। जो अपना घर सजाने और बच्चों को बनाने में अपने सपने और अपनी ख्वाहिशों का हंसते-हंसते बलिदान दे देती है और फिर भी उसके बारे में बहुत कुछ अनकहा रह जाता है। मेरा एक छोटा सा प्रयास है उस स्त्री के बारे में कुछ कहने का जिसका पूरा घर ऋणी होता है और जिसे गृहणी कहते हैं। कभी तंगी में कभी मंदी में कभी बंधन में पाबंदी में कभी घर गृहस्थी के धंधे में कभी कर्तव्यों के फंदे में, ख्वाहिश उसकी झूल गई। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दूर पास के रिश्ते में महंगा राशन हो सस्ते में बच्चों और उनके बस्ते में दिन भर वो उलझी रहती है खाली रहती हो, क्या करती हो? ताने सुनती रहती है। तानों के ताने-बाने में घर अपना स्वर्ग बनाने में जीवन अपना ही भूल गयी। अपनों की परवाह करने में, वह खुद खुद को ही भूल गई। दिन दिन भर वो काम करे, सोचे वो कब आराम करे?🤔 छुट्टी नहीं पगार नहीं, उसका कोई इतवार नहीं। पुरुषों से ज...
नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena
सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
हर किसी से बात करने का सलीक़ा और तरीक़ा अलग अलग होता है। कुछ लोग आपके बिना कहे ही सब कुछ सुन लेते हैं और कुछ लोग आपके बार बार कहने पर भी आपकी बात को सुनना नहीं चाहते। आपकी तहज़ीब और अदब को लोग अपनी मनमानी करने के लिए ग्रीन सिगनल की तरह लेते हैं। ऐसे में आपको अपने कहने का तरीका और सलीका दोनों ही बदलने पड़ते हैं। तुम्हें बस कितना कहूंगी कि तुम जो भी कहते हो तहज़ीब में रहते हो सुनने वाले बड़ा ग़ौर से सुनते हैं खामोशी तोड़ो तहज़ीब छोड़ो बहरे ज़रा ज़ोर से सुनते हैं।
तानाशाही (Tanashahi)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
सुकून (Sukoon)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
सुकून सुकून एक वह अनमोल खजाना है जो किसी को मिल जाए तो उसके आगे चांदी सोना रुपये पैसे का भी कोई मोल नहीं क्योंकि सुकून को पा सकते हैं खो सकते हैं लेकिन खरीद नहीं सकते। कितनों का यही दर्द कितनों का यही ग़म। ढूंढे जिसे ज़माना मिलता है ज़रा कम। हंसना यहीं रोना यहीं, पाना यहीं खोना यहीं, ना चांदी जहाँ सोना नहीं। दिल का सुकून होना वहीं।। आज उम्र के इस पड़ाव पर हम सभी की जिंदगी चक्की की तरह चलती है। जहां हमें सुकून ढूंढना पड़ता है और जब यह मिलता है तब वह किसी खजाने से कम नहीं लगता। एक ज़माना था जब यह हमेशा ही हमारे पास रहता था। जब दिल में उमंग थी कुछ पाना जुनून था बचपन के थे वो दिन जब दिल का सुकून था। अंत में मैं बस यही कहना चाहूंगी
बेटियाँ (Betiyan)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena Hindi Kavita- Betiyan
अभिलाषा: एक बेटी की
Posted by
Dr.Anshul Saxena
नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
होली है (Holi Hai)
Posted by
Dr.Anshul Saxena
हो ली है! हमारे त्योहार हमारी संस्कृति की धरोहर हैं। ये हमारे जीवन को हर्ष उल्लास और उमंग से भर देते हैं। उसी प्रकार होली का त्यौहार हमारे जीवन में खुशियों के रंग भर देता है। कान्हा राधा होली में डाले रंग गुलाल चढ़ा प्रेम का रंग जो राधा हो गईं लाल अलग-अलग रंगों की तरह हमारे आसपास भी रंग-बिरंगे लोग होते हैं। किसी के ऊपर काम का रंग होता है। कोई अपनी धुन में मगन होता है तो कोई रंगीन मिजाज़ होता है। किसी के ऊपर प्यार का रंग चढ़ता है तो कोई पल-पल रंग बदलता है। रंगों के त्यौहार पर, भर दिल में प्यार के रंग। दूरी सारी भूलकर, हो एक दूजे के संग। रंग से ना डर उससे डर, जो बदले पल पल रंग। रंगों के इस त्यौहार को फ़ीका ना पड़ने दें। एक दूसरे पर खुलकर रंग लगाइए चाहे वह आपके प्यार का हो स्नेह का हो, गुलाल हो या फूलों का रंग हो। आप सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 🙏💐 By: Dr.Anshul Saxena
सुनहरा बचपन
Posted by
Dr.Anshul Saxena
सुनहरा बचपन शायद आप लोगों में से कुछ लोगों का बचपन भी ऐसे ही बीता हो।तो चलिए ताज़ा कर लेते हैं कुछ यादें सुनहरा बचपन की बत्ती के जाने पर महफ़िल लगाना पंखे को झलना गप्पें लड़ाना🌞 बर्फ के गोले की चुस्की और कुल्फी 🍡 लूडो और शतरंज की बाजी लगाना🎲⚄ शाम को छतों पर पानी छिड़काना🚿🌊 रंग बिरंगी पतंगें उड़ाना🔶️🔷️ चोर सिपाही या छुप्पन छुपाई कभी गुड्डे और गुड़ियों की शादी कराना 🤴👸 दरी पर गद्दे और चादर बिछाना तारों से तारों में चेहरे बनाना🌟 ठंडा सा तकिया और प्यारी सी नींद🛌 चांदनी रात में मौसम सुहाना🌛 लोगों का लोगों से मिलना मिलाना अपनों या गैरों से रिश्ते निभाना बीत गया बचपन ज़ारी है अब भी उन सुनहरी यादों का ताता लगाना।🙇♀️ By: Dr.Anshul Saxena
Comments
Post a Comment