आभार- हिंदी कविता(Aabhar)
आभार
मम्मी की जान वो;
तो पापा की वो परी,
सब की लाडली;
बड़े नाज़ से पली ।
गोद से मेरी उतर,
जब तू कदम चलने लगी,
कैसे भेजूं दूर तुझे ,
यह चिंता खलने लगी ।
तेरी छोटी हर बात को,
क्या कोई सुन पाएगा ?
जैसे रखती मैं तेरा,
क्या कोई ख्याल रख पाएगा?
इन प्रश्नों के उत्तर की,
मुझे मिली वो मंजिल है ।
बेहतर सुरक्षित शुभारंभ,
जिसे भूलना मुश्किल है ।
एक समर्पण एक प्रयास,
जो आपने की है शुरुआत।
नन्हे भविष्य होते साकार,
सपनों को मिलता आकाश।
अपनापन अपनों का प्यार,
शब्द नहीं है मेरे पास,
जो मैं रख दूं मन की बात,
आदर परिपूर्ण एक धन्यवाद,
दिल से देती हूं आभार।।
दिल से देती हूं आभार।।
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