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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

ऑनलाइन ज़माना






                         ऑफलाइन का गया ज़माना
                          ऑनलाइन सब होता है
                          'ढिंचक' सा कुछ भी कर दो
                           ऐंवई हिट वो होता है।😀


                          अच्छे लेख को कौन पढ़े,
                          सिर से पार निकलता है ,🙆
                          कॉपी पेस्ट फॉरवर्ड करो,
                          नकली माल ही चलता है ।
               
                          गंदे मज़ाक,भद्दी बातें,
                          हास्य के नाम यह चलता है,
                          ऊंची बातें और कोरा ज्ञान,🤔
                         'बस' ऑनलाइन ही मिलता है।       


                       लाइक फॉर लाइक फॉलो फॉर फॉलो,👍
                         इस रेस में आगे चलता है,💃
                         वो पीछे रह जाता यारा,
                         जो अच्छा बेहतर चुनता है।

                        लोकप्रिय तुम,या गुनी हो,🤓
                        लाइक पे निर्भर करता है,
                        कला आदमी और सामान,
                        सब कुछ यहीं पे बिकता है।।🙌
                        By:- Dr.Anshul Saxena 




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