नेता और अधिकारी
नेता और अधिकारी
साम दाम और दंड भेद से
पड़ रहे सब पर भारी,
कला खोखली,नकली ज्ञान ,
बन बैठे अधिकारी ।
न्याय दिलाने बैठे थे,
अन्याय हो रहा भारी,
वोटों के लालच ने कैसे,
अकल मार दी सारी।।
झूठ यहां अब बिकता है ,
पैसा सबसे भारी,
सच्चाई बतलाने वालों,
खत्म तुम्हारी बारी।।
मेहनत, शिक्षा औंधे मुंह,
जेबें कर लो भारी,
सिफारिशों का बक्सा खोलो,
कुर्सी हुई तुम्हारी।।
पड़ रहे सब पर भारी,
कला खोखली,नकली ज्ञान ,
बन बैठे अधिकारी ।
न्याय दिलाने बैठे थे,
अन्याय हो रहा भारी,
वोटों के लालच ने कैसे,
अकल मार दी सारी।।
झूठ यहां अब बिकता है ,
पैसा सबसे भारी,
सच्चाई बतलाने वालों,
खत्म तुम्हारी बारी।।
मेहनत, शिक्षा औंधे मुंह,
जेबें कर लो भारी,
सिफारिशों का बक्सा खोलो,
कुर्सी हुई तुम्हारी।।
By:Dr.Anshul Saxena
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