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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

बेखौफ़ सोच -हमें क्या होना है?

बेखौफ सोच-हमें क्या होना है?

धो रहे हैं हाथ हम,
अब दिमाग धोना है,
जो सोच के बेखौफ़ हैं,
हमें क्या होना है?

अंजाम जानते नहीं,
सलाह मानते नहीं,
सोच में है संक्रमण,
जो होना है वो होना है।

सुधर जाओ अभी वक्त है,
सरकार भी अब सख्त है,
कठिनाई के इस दौर में,
हमें संग होना है।

तुम्हारी कौन सी ईंट है?
कहां का रोड़ा है?
कभी इस्तमाल कर लो,
अगर दिमाग थोड़ा है।।

खुद भी डूब जाओगे,
कितनों को संग डुबाओगे,
तुम्हारा सगा संबंधी नहीं,
ये कोरोना है कोरोना है।।








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