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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

कोरोना वायरस

आजकल करोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में फैला हुआ है। ऐसे अफरा-तफरी के माहौल में कुछ पंक्तियां अवश्य पढ़ें👇

कोरोना कोरोना
अब बस भी करो ना
जहां से हो आए
वहीं जाके मरो ना।
सांप चमगादड़ हम नहीं खाते,
नमस्ते हैं करते हम आते जाते,
सीधा-साधा देश हमारा,
कोई दो रोटी खाता मजदूर बेचारा,
कोई तंगी से हारा कोई मंदी से हारा।
बख्श दो इन्हें अब बस भी करो ना,
जहां से आए हो वही जाके मरो ना।।
एक काम तुमने नेक है किया,
जो लड़ रहे थे उन्हें एक है किया,
अब सब मिलकर तुझ से लड़ेंगे,
एक रहे हैं एक रहेंगे।।
दुनिया से ले विदा हमें खुशियों से भरो ना,
कोरोना कोरोना,अब बस भी करो ना।।

इसी कविता को हल्के-फुल्के तौर पर मैंने इस प्रकार व्यक्त किया है👇😊


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