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एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena
अभी बाक़ी है (Abhi baaki hai)
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अभी बाक़ी है
ज़िंदगी जीने का सबब अभी बाक़ी है,
ज़िंदगी में ज़िंदगी का सबक अभी बाक़ी है,
आसाँ तराशना मिट्टी के जिस्म को,
रूह तराशिये वो चमक अभी बाक़ी है।
ABHI BAAKI HAI |
जैसा कि हम सभी जानते हैं कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने हमारे देश को हिला कर रख दिया। जीवन के इस उतार-चढ़ाव ने बहुत कुछ सिखाया है लेकिन अब भी बहुत कुछ सीखना बाक़ी है।
दूसरों से आगे निकलने की होड़, दूसरों की सरीक़त करना अब रोकना होगा। इस सरीक़त को रोकना अभी बाक़ी है। जो भगवान ने दिया है उतने में ही खुश रहना सीखना अभी बाक़़ी है।
क़हर बरपाते कोरोना ने जो सबक दिया है उस सबक को सीखना अभी बाक़ी है। छोटी सी ज़िंदगी बार-बार नहीं मिलती। शिकवे शिकायत छोड़ें ज़िंदगी जीना अभी बाक़ी है।
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ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है तू कभी हंसती है तो कभी रोती है ए ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है। भुला दो सारे शिकवे गिले जो अपने हो उन्हें लगा लो गले जी भर के जी लो आज अभी क्या पता कल मिले ना मिले कल की ना दे ख़बर सपने मग़र बोती है ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बड़ी छोटी है।। किसी से रूठे हो तो उसे मना लो दिल में हो प्यार तो उसे जता दो क्या लिया क्या दिया ये हिसाब छोड़कर जो हो तुम्हारे पास बेहिसाब लुटा दो कर लो अगर क़दर तो आंसू भी मोती है ऐ ज़िंदगी तेरी उम्र बहुत छोटी है।। Dr.Anshul Saxena
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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)
एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena
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