नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)
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ज़िंदगी जीने का सबब अभी बाक़ी है,
ज़िंदगी में ज़िंदगी का सबक अभी बाक़ी है,
आसाँ तराशना मिट्टी के जिस्म को,
रूह तराशिये वो चमक अभी बाक़ी है।
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ABHI BAAKI HAI |
जैसा कि हम सभी जानते हैं कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने हमारे देश को हिला कर रख दिया। जीवन के इस उतार-चढ़ाव ने बहुत कुछ सिखाया है लेकिन अब भी बहुत कुछ सीखना बाक़ी है।
दूसरों से आगे निकलने की होड़, दूसरों की सरीक़त करना अब रोकना होगा। इस सरीक़त को रोकना अभी बाक़ी है। जो भगवान ने दिया है उतने में ही खुश रहना सीखना अभी बाक़़ी है।
क़हर बरपाते कोरोना ने जो सबक दिया है उस सबक को सीखना अभी बाक़ी है। छोटी सी ज़िंदगी बार-बार नहीं मिलती। शिकवे शिकायत छोड़ें ज़िंदगी जीना अभी बाक़ी है।
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