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बेटियाँ (Betiyan)

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  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

कोरोना ने सरेआम कर दिया (Corona ne Sareaam kar Diya)

     कोरोना ने सरेआम कर दिया

https://www.expressionshub.co.in/2021/05/corona-ne-sareaam-kar-diya.html


जो गले मिलने से क़तराते थे,
दिलों में थी दूरी पर हाथ मिलाते थे,
उस दूरी को बस खुलेआम कर दिया।
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।

वो अब भी नज़र मिलाते नहीं हैं,
दिल की गिरह को मिटाते नहीं हैं,
वक़्त दें जब वक़्त है पर.. वक़्त नहीं है
खामखाँ क्यों काम को बदनाम कर दिया।
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।

दर्द में भी दर्द को क्यों बांटते हैं लोग,
सब जल रहा फिर राख को क्यों छाँटते हैं लोग,
लालच की चिंगारी क्यों बुझती नहीं है
इंसान ने इंसान को शैतान कर दिया
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।
गली कूचे कस्बों को वीरान कर दिया,
ये कोरोना ने कैसा क़त्ले-आम कर दिया।।

Dr. Anshul Saxena 


Corona Ne Sareaam Kar Diya

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