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Sashakt Naari ( सशक्त नारी)

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 सशक्त नारी एक नारी के जीवन के विविध रंग जितने दिखते हैं उससे कहीं अधिक गहरे होते हैं। नारी का अस्तित्व उसकी योग्यता या अयोग्यता को सिद्ध नहीं करता बल्कि जीवन में उसके द्वारा किए गए त्याग और उसकी प्राथमिकताओं के चुनाव को दर्शाता है। कहते हैं जीवन में सपना हो तो एक ज़िद होनी चाहिए और इस ज़िद पर डट कर अड़े रहना होता है। लेकिन एक नारी कभी सपने हार जाती है तो कभी सपनों को पूरा करने में अपने हार जाती है। नारी तो कभी अपने बच्चों में अपने सपने ढूंढ लेती है तो कभी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाकर अपनी खुशियों का बहाना ढूंढ लेती है। ऐसे में कभी कभी वह परिस्थितियों से छली जाती है तो कभी अपनों से ठगी जाती है। नारी के त्याग को उसकी कमज़ोरी समझने वालों के लिए  प्रस्तुत हैं मेरी यह चार पंक्तियां- ज़िद थी उड़ान की मगर अड़ नहीं पाई, मतलबी चेहरों को कभी पढ़ नहीं पाई, तुम क्या हराओगे उसे जो हर हार जीती है, अपनों की बात थी तो बस लड़ नहीं पाई।।

कोरोना ने सरेआम कर दिया (Corona ne Sareaam kar Diya)

     कोरोना ने सरेआम कर दिया

https://www.expressionshub.co.in/2021/05/corona-ne-sareaam-kar-diya.html


जो गले मिलने से क़तराते थे,
दिलों में थी दूरी पर हाथ मिलाते थे,
उस दूरी को बस खुलेआम कर दिया।
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।

वो अब भी नज़र मिलाते नहीं हैं,
दिल की गिरह को मिटाते नहीं हैं,
वक़्त दें जब वक़्त है पर.. वक़्त नहीं है
खामखाँ क्यों काम को बदनाम कर दिया।
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।

दर्द में भी दर्द को क्यों बांटते हैं लोग,
सब जल रहा फिर राख को क्यों छाँटते हैं लोग,
लालच की चिंगारी क्यों बुझती नहीं है
इंसान ने इंसान को शैतान कर दिया
कोरोना ने सब सरेआम कर दिया।।
गली कूचे कस्बों को वीरान कर दिया,
ये कोरोना ने कैसा क़त्ले-आम कर दिया।।

Dr. Anshul Saxena 


Corona Ne Sareaam Kar Diya

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