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नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

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 एक चिंगारी नारी अभिमान की आवाज़ में कभी रीति में रिवाज़ में भक्ति है जो उस नारी को शक्ति जो उस चिंगारी को जितना भी उसे दबाओगे एक ज्वाला को भड़काओगे। उस अंतर्मन में शोर है बस चुप वो ना कमज़ोर है जितना तुम उसे मिटाओगे उतना मजबूत बनाओगे। बचपन में थामा था आंचल वो ही पूरक वो ही संबल तुम उसके बिना अधूरे हो तुम नारी से ही पूरे हो जितना तुम अहम बढ़ाओगे अपना अस्तित्व मिटाओगे। By- Dr.Anshul Saxena 

अभिलाषा: एक बेटी की


अभिलाषा एक बेटी की Hindi poem (kavita) about a daughter's wish @epressionshub.co.in


                 छल कपट से दूर जहां की,
                 मेरी दुनिया अच्छी है,
                 झूठ जहां ना बसता है,
                 दिल की बेहद सच्ची है ।

                 तेरी समझ से मेरी समझ,
                 मेरी समझ में तेरी समझ,
                 समझ में आना मुश्किल है,
                 हर दिन मेरी नई राह है,
                 दूर बड़ी ही मंजिल है।

                मेरी कोशिश मेरी क्षमता
                कोई तो पहचाने,
                कितना कुछ में जाने हूं,
                क्यों कोई ये ना जाने,

                मेरी अपनी बोली है,
                मेरी अपनी भाषा है,
                समझो मेरे भावों को,
                बस इतनी अभिलाषा है।
                बस इतनी अभिलाषा है।
                By:- Dr.Anshul Saxena

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